उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में केदारनाथ विधानसभा सीट हमेशा से महिलाओं के लिए मुफीद रही है। वर्ष 2017 में एकमात्र अपवाद मनोज रावत रहे हैं, जो इस बार फिर से उपचुनाव के मैदान में हैं।
केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए नामांकन शुरू हो गए हैं। केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र महिलाओं को सत्ता में लाने के मामले में अलग पहचान रखता है। इस सीट पर भाजपा की आशा नौटियाल 2002 और 2007 में लगातार दो बार विजयी रहीं।
इसके बाद वर्ष 2012 में कांग्रेस और वर्ष 2022 में भाजपा के टिकट पर शैलारानी रावत निर्वाचित हुईं। सिर्फ वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मनोज रावत पुरुष प्रत्याशी के रूप में यहां खाता खोल पाए हैं।
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आशा नौटियाल के बजाय शैलारानी रावत को टिकट दिया था। आशा ने बगावती तेवर अपनाते हुए निर्दलीय ही मैदान में उतरने का फैसला किया। इस चुनाव में भाजपा की शैलारानी रावत चौथे स्थान पर रहीं।
जबकि निर्दलीय आशा तीसरे स्थान पर रहीं, जबकि निर्दलीय कुलदीप रावत दूसरे स्थान पर रहे थे। दो महिलाओं की जंग का लाभ पुरुष प्रत्याशी मनोज रावत को मिला था। वे आठ सौ से ज्यादा वोट के अंतर से जीतने में सफल रहे।
सीट पर महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा
केदारनाथ में मतदाता संख्या के मामले में महिलाओं का दबदबा है। वर्ष 2002 में केदारनाथ में 41 हजार 727 महिला मतदाताओं की तुलना में 38 हजार 716 पुरुष मतदाता थे। 2024 में महिला मतदाताओं की संख्या 45 हजार 775 है तो पुरुष मतदाता 44 हजार 765 हैं।
केदारनाथ उपचुनाव: बीजेपी से आशा नौटियाल और कांग्रेस के मनोज रावत ने पर्चे भरे
केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए नामांकन के पहले दिन पांच प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किए। इनमें भाजपा से आशा नौटियाल और कांग्रेस से मनोज रावत, उत्तराखंड क्रांति दल से डॉ. आशुतोष भंडारी के अलावा निर्दलीय त्रिभुवन सिंह चौहान और प्रदीप रोशन रूडिया शामिल हैं।