उत्तरकाशी : उत्तराखंड के ऐतिहासिक पर्यटक स्थल गरतांग गली में इस वर्ष अब तक 12 हजार से अधिक पर्यटक पहुंच चुके हैं जिससे गंगोत्री नेशनल पार्क को करीब 18 लाख से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है। 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी गरतांग गली में लकड़ी के पुल की सीढ़ियां इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है।1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद इस लकड़ी के सीढ़ीनुमा पुल को बंद कर दिया गया था। अगस्त 2021 में करीब 59 सालों बाद पर्यटकों के लिए इसे दोबारा खोला गया। बताते हैं कि 150 साल पहले इस गली का निर्माण किया गया था।आजादी से पहले तिब्बत के साथ व्यापार के लिए उत्तरकाशी में नेलांग वैली होते हुए तिब्बत ट्रेक बनाया गया था। यह ट्रेक भैरोंघाटी के नजदीक खड़ी चट्टान वाले हिस्से में लोहे की रॉड गाड़कर और उसके ऊपर लकड़ी बिछाकर तैयार किया था।रास्ते से ऊन, चमड़े से बने कपड़े और नमक लेकर तिब्बत से उत्तरकाशी के बाड़ाहाट पहुंचाए जाते थे। इस पुल से नेलांग घाटी का रोमांचक दृश्य दिखाई देता है। 150 मीटर लंबा यह लकड़ी का पुल काफी जर्जर हो गया था जिसकी वर्ष 2021 में जिला प्रशासन ने मरम्मत कराई थी।मरम्मत के बाद 15 अगस्त 2021 को इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था। नेलांग घाटी सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है। गरतांग गली भैरव घाटी से नेलांग को जोड़ने वाले पैदल मार्ग पर जाड़ गंगा घाटी में मौजूद है।