अभिव्यक्ति की आजादी मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि, किसी मंत्री, सांसद या विधायक के बयान के लिए सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
संविधान पीठ ने कहा है कि, एक मंत्री की तरफ से दिया गया बयान भले ही राज्य या केंद्र के किसी भी मामले के लिए दिया गया हो, पर सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को लागू नहीं किया जा सकता और सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। जनप्रतिनिधियों की अभिव्यक्ति और बोलने की आजादी पर अनुच्छेद 19 (2) के अलावा किसी भी तरह की पांबदी नहीं लगाई जा सकती है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया था कि, क्या राज्य या केंद्र सरकार के मंत्रियों, सांसदों, विधायक या उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों की अभिव्यक्ति और बोलने की आजादी पर कोई अंकुश लगाया जा सकता है?