अल्मोड़ा के बिनसर में जंगल में लगी आग से बुरी तरह झुलसे फायर वॉचर कृष्ण कुमार आखिरकार सात दिन के संघर्ष के बाद जीवन की जंग हार गया। उसकी दिल्ली एम्स में उपचार के दौरान मौत हो गई। उसकी मौत से घर का इकलौता चिराग हमेशा के लिए बुझ गया है। बेटे की मौत की खबर सुनकर मां बेसुध है और दो बहनों का रो-रोक बुरा हाल है। अपने बेटे को अपनी आंखों के सामने मौत के मुंह में समाता देख पिता के आंसू सूख चुके हैं।भेटुली गांव निवासी नारायण राम मेहनत मजदूरी कर जैसे तैसे अपने परिवार को पालन पोषण कर रहा था। एक बेटी का वह विवाह कर चुका था। जबकि दूसरी बेटी दिल्ली में किसी निजी कंपनी में नौकरी कर रही थी। पिता का हाथ बंटा सके इसके लिए उनका बेटा कृष्ण कुमार इन दिनों वन विभाग में फायर वाॅचर का काम कर रहा था जो घर का इकलौता चिराग था। आर्थिक तंगी से जूझ रहे इस परिवार की खुशियां नियति को रास नहीं आई। 13 जून को बिनसर में अचानक भीषण वनाग्नि की घटना में कृष्ण कुमार बुरी तरह झुलस गया। गंभीर हालत में उसे पहले अल्मोड़ा फिर हल्द्वानी और बाद में एयर लिफ्ट कर दिल्ली के एम्स अस्पताल भेजा गया। सात दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझता कृष्ण आखिरकार जीवन की जंग हार गया। अपने बेटे के सुरक्षित घर लौटने की उम्मीद लगाए मां बेसुध है और पूरे गांव में शोक की लहर है। उसकी मौत पर पूरे सिस्टम पर भी सवाल उठ रहे हैं।