DevBhoomi Insider Desk • Sun, 21 Nov 2021 1:30 pm IST
कहीं गुजरे जमाने की बात न हो जाए 'ढोल दमाऊ', हुनरमंदों का हो रहा मोहभंग
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में शादी समारोह से लेकर अंतिम संस्कार, पूजा पाठ, पांडव नृत्य के अवसर पर बजाए जाने वाले ढोल दमाऊ वाद्य यंत्रों की आवाज तो आपने जरूर सुनीं होगी. जिसकी थाप पर लोक जमकर नृत्य करते दिखाई देते हैं. लेकिन सरकार की बेरूखी के कारण अब ढोल दमाऊ बजाने का हुनर रखने वाले कलाकारों के आगे रोजी-रोटी का संकट गहरा रहा है. यही कारण है कि अब ढोल दमाऊ बजाने वाले कलाकार इस पेशे से मुंह मोड़ रहे हैं. अगर हम देवभूमि उत्तराखंड के वाद्य-यंत्रों की बात करें तो उनमें मुख्य है 'ढोल-दमाऊं, मशकबाजा'. यह वाद्य यंत्र पहाड़ी समाज की लोककला को संजोए हुए हैं. इस कला का जन्म से लेकर मृत्यु तक, घर से जंगल तक प्रत्येक संस्कार और सामाजिक गतिविधियों में इनका प्रयोग होता आ रहा है. इनकी थाप के बिना यहां का कोई भी शुभकार्य पूरा नहीं माना जाता है. इसलिए कहा जाता है कि पहाड़ों पर मनाए जाने वाले त्योहारों की शुरुआत ढोल-दमाऊं की धुन से ही होती है.