हरिद्वार - सीआईएसएफ में आरक्षक व जीडी पदों पर हो रही भर्ती में आयु सीमा का लाभ लेने के लिए आगरा व धौलपुर के दो युवकों को अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्रों के साथ सीआईएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट ने पकड़ लिया। जिसके बाद रानीपुर पुलिस ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें न्यायालय में पेश किया।
भर्ती प्रक्रिया में नियमानुसार आरक्षित अभ्यर्थियों को आयु सीमा तथा हाइट में छूट का प्रावधान है। भर्ती परीक्षा में आए दोनों अभ्यर्थी धीरज कुमार व सत्येंद्र पुत्र राम हंस ने खुद को अनुसूचित जनजाति श्रेणी का बताया गया था। दोनों अभ्यर्थियों की फिजिकल टेस्ट के दौरान आयु सीमा तथा हाइट में छूट देने के प्रावधान के अनुसार उक्त दोनों अभ्यर्थियों के जाति प्रमाण पत्र चेक किए गए तो चेकिंग के दौरान दोनों अभ्यर्थियों के जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए।
पूछताछ करने पर धीरज कुमार ने अपनी जाति ब्राह्मण ( तिवारी) तथा सत्येंद्र ने अपनी जाति राजपूत (जादौन) बताई। आरोपियों ने बताया कि उनकी आयु अधिक होने के कारण आयु सीमा में छूट लेने के लिए जाति प्रमाण पत्र फर्जी तरीके से अनुसूचित जनजाति के बनाए हैं। जिसके बाद असिस्टेंट कमांडेंट परमजीत सिंह धीरज कुमार तथा सतेंद्र को रानीपुर कोतवाली ले आए। पुलिस ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कर उन्हें न्यायालय में पेश किया है।
कर्नाटक-छत्तीसगढ़ की जनजाति थी दर्शाई
सीआईएफस की भर्ती परीक्षा में पहुंचे दोनों युवक मूल रूप से हरियाणा एवं राजस्थान के रहने वाले है लेकिन उन्होंने अपनी कर्नाटक एवं छत्तीसगढ़ की जनजाति के प्रमाण पत्र बनवाएं थे। इसलिए उन पर संदेह हो गया, जब उनसे पूछताछ की गई तब वह तुरंत ही टूट गए। उन्होंने अपना गुनाह कबूल लिया। कबूला कि बेरोजगार होने के चलते उन्होंने अपना दिमाग लगाया था।
प्रमाण पत्र बनाने वालों पर कसेगा शिकंजा
फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में पुलिस की जांच आगे बढ़ रही है। आरोपियों ने कुछ लोगों के संबंध में जानकारी दी है, जिन्होंने प्रमाण पत्र बनाए थे। कोतवाली प्रभारी अमरचंद शर्मा ने बताया कि उनके खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। पूरे मामले की गहनता से जांच कर रहे हैं।