देहरादून। उत्तराखंड में दो दिन की राहत के बाद वर्षा ने एक बार फिर दुश्वारियां खड़ी कर दी हैं। बीते 24 घंटे में मूसलाधार वर्षा और भूस्खलन से प्रदेशभर में करीब एक दर्जन मकान, विद्यालय और दुकानें क्षतिग्रस्त हो गए। इन घटनाओं में दो लोग घायल भी हुए। कई बीघा खेत-खलिहान मलबे से पट गए। गोशालाएं भी ध्वस्त हुई हैं। प्रदेश में 150 से अधिक मार्ग अवरुद्ध हैं। चारधाम यात्रा मार्गों में सोमवार रात से बंद गौरीकुंड हाईवे 21 घंटे बाद मंगलवार रात खोला जा सका। इस कारण एक हजार से अधिक यात्री विभिन्न पड़ावों पर फंसे रहे। बता दें ,कि सोमवार रात पहाड़ से लेकर मैदान तक शुरू हुआ वर्षा का क्रम मंगलवार को भी जारी रहा। इस बीच देहरादून में चार मकान और एक दुकान धराशायी हो गई। रुद्रप्रयाग में गौरीकुंड हाईवे पर एक रेस्टोरेंट भूस्खलन की चपेट में आने से दो युवक घायल हो गए। उत्तरकाशी के पुरोला और नौगांव में पांच विद्यालयों की सुरक्षा दीवार गिर गई। गंगोत्री हाईवे पर एक वाहन पहाड़ी से गिरे मलबे की जद में आ गया, जिसके चालक ने भागकर जान बचाई। चमोली के छिनका में निर्माणाधीन सड़क का मलबा प्राथमिक विद्यालय में घुसने से विद्यालय की चारदीवारी ढह गई और दो कक्ष मलबे से भर गए।वहीं टिहरी के तुणेटा गांव में गोशाला ध्वस्त होने से पांच बकरियां मलबे में दबकर मर गईं। कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ में मुनस्यारी के गोल्फा गांव में भूस्खलन से समूचे गांव को खतरा पैदा हो गया है।रामगंगा नदी नाचनी में घरों के समीप पहुंच गई है। बागेश्वर के कपकोट में तीन मकान ध्वस्त हो गए। बदियाकोट में पशुपालन विभाग के भवन की सुरक्षा दीवार ढह गई, जबकि कुमतोली तोक का पैदल पुल बह गया। ढोक्टी गांव में अतिवृष्टि से खेत-खलिहान मलबे से पट गए हैं। पिंडर घाटी में किलपारा सड़क 50 मीटर तक ध्वस्त हो गई है।पिथौरागढ़ में सोमवार को खुला चीन सीमा तक जाने वाला तवाघाट-लिपुलेख मार्ग 24 घंटे के भीतर मलबा आने से फिर बंद हो गया। चंपावत में पूर्णागिरि धाम की राह दो सप्ताह बाद भी नहीं खुल पाई। मार्गों पर मलबा आने से 250 से अधिक गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है।