रामनगर: प्रगतिशील सांस्कृतिक पर्वतीय समिति पैठपड़ाव के तत्वाधान में 1974 से लगातार हो रही रामलीला के मंचन पर इस बार संकट के बादल गहरा रहे हैं. समिति के दो गुटों की लड़ाई एसडीएम कोर्ट तक पहुंच गई है. अगले अग्रिम आदेशों तक इसमें रामलीला मंचन के साथ ही अन्य गतिविधियों पर भी रोक लगा दी गई है.
रामनगर की रामलीला पर संशय: बता दें कि प्रगतिशील सांस्कृतिक पर्वतीय समिति पैठपड़ाव के तत्वाधान में 1974 से कुमाऊंनी शैली में रामलीला का मंचन होता आ रहा है. इस वर्ष लगता नहीं कि अब रामलीला का मंचन हो पाएगा, क्योंकि दो गुटों की आपसी लड़ाई एसडीम कोर्ट पहुंची है. एसडीएम कोर्ट ने अग्रिम आदेशों तक समिति में किसी भी प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगा दी है. साथ ही रामलीला और अन्य तालीम वाले कक्षों में ताले लगा दिए गए हैं. एसडीएम के निर्देश पर समिति के कार्यालय पर ताला लगा दिया गया है. साथ ही फिलहाल समिति के नाम पर कोई भी सदस्य चंदा भी नहीं वसूल सकता.
दो गुटों के विवाद में एसडीएम कोर्ट पहुंचा मामला: गौर हो कि 2022 में हुए चुनाव में आम सहमति गिरीश चंद्र मठपाल को समिति का अध्यक्ष बनाया गया था. इसे लेकर समिति के ही कुछ सदस्य गिरीश, जगदीश तिवारी व अन्य लोगों ने इसका विरोध दर्ज किया था. उनके द्वारा चिट फंड सोसायटी हल्द्वानी में नया चुनाव कराने और आजीवन सदस्यों से चुनाव की अर्जी दी गई थी. वहीं हल्द्वानी चिट फंड सोसायटी द्वारा भी जब मामला नहीं सुलझा, तो उन्होंने मामला रामनगर एसडीएम कोर्ट में दर्ज कराया.
विवाद को देखते हुए एसडीएम कोर्ट ने समिति की गतिविधियों पर रोक लगाई: आपको बता दें कि 4 सितंबर से आने वाले समय में रामलीला के मंचन को लेकर रिहर्सल की तैयारी होनी थी. वहीं अन्य गुटों द्वारा द्वारा इसका विरोध करने पर एसडीएम के निर्देश पर धारा 25/1 के तहत पर्वतीय समिति के संचालन पर रोक लगा दी गई है. वहीं अब समिति में कोई भी कार्य अग्रिम आदेशों तक नहीं होने हैं.
क्या कहते हैं दोनों गुट: दो गुटों में बंटी प्रगतिशील सांस्कृतिक समिति के एक पक्ष के ओम प्रकाश ने कहा कि प्रशासन चाहे तो अति शीघ्र चुनाव कराकर रामलीला के मंचन को सुचारू किया जा सकता है. वहीं दूसरे पक्ष समिति के अध्यक्ष गिरीश मठपाल ने कहा कि हम प्रशासन से अनुरोध करेंगे कि हमें रामलीला के मंचन की अनुमति दी जाए. अगर वह अनुमति प्रदान करते हैं तो रामलीला होगी.