मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता बिल (यूसीसी) पेश किया गया जिसे चर्चा के बाद बुधवार को पास किया गया. इस बिल में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर जो बातें सामने आईं हैं, उसको लेकर पूरे देश में चर्चा चल रही है, भले ही ये बिल सिर्फ उत्तराखंड की सरकार ने पारित किया हो, लेकिन पूरे देश में बातें हो रही हैं कि क्या लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर सरकार जो बिल ला रही है वो सही है. इसको लेकर आखिर आम लोग क्या सोचते हैं? पहले हम आपको बताते हैं कि आखिर बिल में ऐसा क्या है?
लिव-इन रिलेशनशिप पर क्या कहता है ये बिल?
इस बिल के मुताबिक लिव- इन रिलेशनशिप में रहने वालों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा, ऐसा नहीं करने पर उन्हें 6 महीने तक की सजा हो सकती है. लिव-इन में रहने वाले कपल में से अगर एक पहले से शादीशुदा है या फिर वह पहले से किसी और के साथ लिव-इन में है या पार्टनर नाबालिग है, तो फिर लिव-इन का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. लिव-इन में रहने वाले कपल को रजिस्ट्रार के सामने बयान दर्ज कराना होगा कि वो लिव-इन में हैं और तमाम शर्तों को पूरा करने के बाद उनका रजिस्ट्रेशन होगा. अगर कोई एक महीने तक लिव-इन में रहता है और इस बारे में जानकारी नहीं देता तो दोषी पाए जाने पर तीन महीने की कैद और 10 हजार का जुर्माना देना पड़ेगा. यही नहीं लिव-इन रिलेशनशिप के टर्मिनेशन का भी प्रावधान है. इसके लिए भी रजिस्ट्रार के सामने बयान दर्ज कराना पड़ेगा. लिव-इन में पैदा हुए बच्चे वैध संतान होंगे. अगर को व्यक्ति महिला को छोड़ देता है, तो महिला मुआवजे के लिए कोर्ट जा सकती है.
क्या कहते हैं लोग?
अब जब इस बिल को लेकर चर्चा छिड़ी है, तो हमने कुछ लोगों से बातकर जानने की कोशिश की आखिर इस बिल पर उनकी क्या राय है? खुद लिव- इन में रहने वाले सज्जन कहते हैं-‘सरकार को हम क्यों बताएं कि लिव इन में रहते हैं, इससे सरकार को क्या फायदा है? ये मेरा प्राइवेट मामला है मैं सरकार को नहीं बताना चाहता कि मैं किसके साथ रहता हूं, या रहना चाहता हूं, सरकार इसके लिए मुझे फोर्स नहीं कर सकती. अपने व्यक्तिगत संबंधों को लेकर मैं ये सोचता हूं कि ये मेरा खुद का मसला है. ये दो बालिग लोगों के बीच का मामला है. ऐसे में सरकार या प्रशासन को बीच में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए.’
वहीं दिल्ली के करोलबाग में रहने वाले मानस कहते हैं- ये यूसीसी बिल रिलेशनशिप और संस्कृति के लिहाज से एक अच्छा कदम साबित हो सकता है. उनका मानना है कि ऐसा करके प्रेमी जोड़ों में एक-दूसरे की सुरक्षा बनी रहती है. रजिस्ट्रेशन होने से कपल की एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदारियां तय हो जाती हैं. अगर किसी भी तरह का धोखा मिलता है, तो कपल में पार्टनर कानूनी मदद के जरिए अपना हक हासिल कर सकते हैं.
वहीं नोएडा के रवि की इस मसले पर अलग ही राय है रवि कहते हैं- ‘इससे उन कपल्स की फ्रीडम पर प्रभाव पड़ सकता है और हमारे संस्कृति में ज्यादातर पेरेंट्स ये नहीं चाहेंगे कि उनका बच्चा किसी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहे. साथ ही अगर कपल बाद में एक दूसरे के साथ नहीं रहना चाहते हैं और भविष्य में वो लोग किसी दूसरे व्यक्ति के शादी करते हैं और उसे पुराने लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में नहीं बताना चाहते हैं, तो भविष्य में उन्हें इसके बारे में अपने पति या पत्नी को इस रिश्ते के बारे में पता लग सकता है. जिससे उनके शादीशुदा जीवन में संकट बन सकता है.
गाजियाबाद की रंजना का कहना है- ‘ये बिल लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए बेहतर साबित हो सकता है जैसा कि पिछले साल दिल्ली से एक मामला सामने आया था कि लिव-इन रिलेशन में रहने वाली एक लकड़ी की हत्या करके उसे पार्टनर ने शव को टुकड़े-टुकड़ करके की इलाकों में फेंक दिया था, ऐसे में अगर रजिस्ट्रेशन होगा तो डिटेल्स सरकार के पास मौजूद होगी, तो इस तरह का वारदात का खतरा बहुत हद तक कम होगा.