देहरादून। पूर्व सीएम हरीश रावत ने पटवारी भर्ती को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। हरदा ने कहा कि 2015 में कांग्रेस सरकार ने पटवारी और लेखपालों की भर्ती निकाली थी। लेकिन अब छह साल बाद सरकार ने बाकी पदों की भर्ती निकाली है। लेकिन मामले को इतना उलझा दिया है कि किसी के न्यायालय की शरण में जाने पर प्रक्रिया पर रोक लग जाए। मगर सरकार के लिए यह कहने को हो जाएगा कि भर्तियां तो निकाली थी। बस सरकार का इरादा भी है। वहीं, 2015 के मुकाबले इस बार पटवारी भर्ती में हाइट का मानक ज्यादा रखने पर हरीश रावत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या उत्तराखंडियों की हाइट बढ़ गई है? सरकार ने किस स्टडी के आधार पर यह फैसला लिया होगा। पूर्व सीएम हरीश रावत इन दिनों फेसबुक पर सरकारी योजनाओं, भर्ती कर्मचारी व अन्य आंदोलनों को लेकर सरकार की नीतियों को कठघरे में खड़ा कर कटाक्ष कर रहे हैं। अब पटवारी व लेखपाल भर्ती को लेकर उन्होंने कहा कि भर्ती न करानी पड़े, इसलिए ऊंचाई को लेकर उत्तराखंडी मूल का एक कंफ्यूजन पैदा कर दिया। 2015 में 155 सेंटीमीटर लंबाई होने पर अभ्यर्थियों को मौका मिला था। लेकिन अब 168 सेंटीमीटर का नियम बनाया गया है। इसमें मूल निवासी होने पर पांच सेंटीमीटर की छूट दी गई है। इसे लेकर भ्रम पैदा हो रहा है। हो सकता है कि भ्रम के निवारण के लिए लोग कोर्ट जाएं। वहीं, एक साल पुरानी कट ऑफ डेट के आधार पर भर्ती कराने को लेकर भी हरदा ने सवाल उठाए हैं। कहा कि यह उचित नहीं है। कट ऑफ डेट आज की रखिये।