श्रीनगर: राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने गुरुवार को कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में पिछले साल जम्मू-कश्मीर में मानव तस्करी में 15.56 प्रतिशत की वृद्धि होने संबंधी आंकड़े सतर्क करने वाले हैं और ये ‘एक बड़ी समस्या को दर्शाते हैं।’ शर्मा ने यहां एनसीडब्ल्यू द्वारा आयोजित मानव तस्करी-रोधी कार्यशाला से पहले एक न्यूज एजेंसी से कहा, ‘पिछले कुछ सालों में हमने कश्मीर में भी देखा है कि महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल 2021-22 की तुलना में इसमें 15.56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह बड़ी समस्या का एक छोटा सा हिस्सा है, क्योंकि ये आंकड़ें सही तस्वीर पेश नहीं करते।’ शर्मा ने कहा कि कश्मीर में कार्यशाला आयोजित करने का उद्देश्य लोगों को मानव तस्करी के खतरे से अवगत कराना है। उन्होंने कहा, ‘हमें अब अपनी बेटियों और अपने बच्चों को बचाने के लिए काम करना चाहिए। कश्मीर में इसे (कार्यशाला) आयोजित कराने का यही मुख्य उद्देश्य है।’ शर्मा ने कहा, ‘मानव तस्करी एक गंभीर अपराध है और यह कहीं भी हो सकता है चाहे वह कश्मीर हो या कन्याकुमारी। कभी-कभी तस्करी के शिकार लोगों को पता भी नहीं चलता कि वे पीड़ित हैं।’ उन्होंने कहा कि अच्छे वेतन वाली नौकरी का झांसा देकर महिलाओं की तस्करी की जा रही है। इस बीच, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार को मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी के अलावा मानव तस्करी को एक चुनौती करार दिया। उन्होंने कहा कि मानव तस्करी की समस्या केवल समाज के कमजोर वर्गों तक ही सीमित नहीं है। सिन्हा ने यहां मानव तस्करी-रोधी जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाज से सामूहिक रूप से इस चुनौती से लड़ने का आह्वान किया। उपराज्यपाल ने कहा, ‘मादक पदार्थों और हथियारों की तस्करी के अलावा मानव तस्करी हमारे सामने एक चुनौती है। मुझे उम्मीद है कि जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ यह कार्यक्रम एक रोडमैप भी तैयार करेगा, जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इस समस्या से लड़ने में मदद मिलेगी।’