देहरादून की तमाम पर्यावरण संरक्षण पर काम करने संस्थाओं के साथ देहरादून निवासियों ने भी चिपको आंदोलन की तरह बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया और इस बार उन्हें सफलता मिली. सरकार ने खलंगा और कैंट रोड पर लगे पेड़ों के कटान के प्रस्ताव पर रोक लगा दी.
खलंगा में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 2 हजार पेड़ों का कटान किया जाना था जिसके लिए उनका चीनी कारण भी किया गया था लेकिन स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों के विरोध के बाद अब पेयजल निगम मालदेवता के कनार काटा गांव में पेड़ों को चिन्हित कर रहा है.रविवार को सुबह दून घाटी के हरे भरे पेड़ों को काटने से रोकने के लिए पर्यावरण प्रेमी और स्थानीय लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. लोग पोस्टर लेकर निकले. मेड संस्था ने नुक्कड़ नाटक के जरिये लोगों को जागरूक किया. घाटी के पेड़ों के लिए लड़ने वालों में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शामिल थे.पर्यावरण प्रेमी हिमांशु ने कहा कि हरियाली ही देहरादून की खूबसूरती है और जब पेड़ ही नहीं रहेंगे तो देहरादून अपनी पहचान खो देगा. उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर इस हरियाली को कायम रखना चाहते हैं. हम पेड़ों को विकास की भेंट नहीं चढ़ने देंगे क्योंकि हमने देखा है कि किस तरह इसका परिणाम जलवायु परिवर्तन से लेकर आपदाओं में बढ़ोतरी हो रहा है.