नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पर्सनल स्टाफ से आठ अधिकारियों को 20 संसदीय कमेटियों में नियुक्त किया है। इन कमेटियों में वाइस प्रेसिडेंट ऑफिस और राज्यसभा सभापति के ऑफिस से चार-चार अधिकारियों को जोड़ा गया है। ये अधिकारी कमेटियों के काम में सहायता करेंगे, जिसमें इनकी गोपनीय बैठक भी शामिल हैं।
एक आदेश में राज्यसभा सचिवालय ने कहा कि इन अधिकारियों को
कमेटियों में तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक के लिए जोड़ा गया है। हालांकि, उप राष्ट्रपति के इस कदम का विपक्षी दलों ने विरोध किया
है। कांग्रेस के कई नेताओं ने आरोप लगाया कि ये नियुक्तियां कमेटियों के काम पर
नजर रखने के लिए की गई हैं।
कमेटियों में इनकी हुई नियुक्ति
उप राष्ट्रपति के स्टाफ में से ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) राजेश एन नाइक, प्राइवेट
सेक्रेटरी (PS) सुजीत कुमार, एडिशनल प्राइवेट
सेक्रेटरी संजय वर्मा और ओएसडी अभ्युदय सिंह
शेखावत को इन कमेटियों से जोड़ा गया है। वहीं, राज्यसभा सभापति
के ऑफिस से जगदीप धनखड़ के ओएसडी अखिल चौधरी, कौस्तुभ सुधाकर
भालेकर, दिनेश डी और पीएस अदिति चौधरी को नियुक्त किया गया है।
पहले कभी नहीं हुई ऐसी नियुक्ति
इस संबंध में लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल पी डी टी आर्चाय ने कहा कि संसदीय
कमेटियों में सांसद और सहायता के लिए लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के अधिकारी होते हैं।
स्पीकर या सभापति अपने पर्सनल स्टाफ को कमेटियों में नियुक्त नहीं कर सकते हैं। ऐसी
नियुक्ति इससे पहले कभी नहीं हुई है।
कांग्रेस के नेताओं ने जताया विरोध
उधर, कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि उप राष्ट्रपति, राज्यसभा के पदेन सभापति हैं। वे उप सभापति की तरह सदन के सदस्य नहीं हैं। ऐसे में वे अपने पर्सनल स्टाफ को संसद की स्टैंडिंग कमेटियों में कैसे नियुक्त कर सकते हैं? क्या ये संस्थागत विनाश जैसा नहीं होगा?
कांग्रेस के चीफ व्हिप जयराम रमेश ने कहा है कि इस मुद्दे को
वे उप राष्ट्रपति के सामने उठाएंगे। उन्होंने कहा, मैं समझ नहीं पा
रहा हूं कि इस कदम के पीछे का मंशा और क्या जरूरत है? राज्यसभा की सभी कमेटियों में सचिवालय का योग्य स्टाफ
मौजूद है। ये कमेटियां राज्यसभा की हैं ना कि सभापति की।
हर स्टैंडिंग कमेटी में होते हैं 31 सांसद
देश में कुल 24 स्टैंडिंग कमेटियां हैं और हर एक कमेटी में 21 लोकसभा सांसद व 10 राज्यसभा सांसद हैं। इन 24 में से 16 कमेटियां लोकसभा
स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में काम करती हैं तो वहीं, आठ राज्यसभा सभापति के अधिकार क्षेत्र में आती
हैं। सदन में अधिकतर बिल्स को पेश करने के बाद विस्तृत चर्चा के लिए इन कमेटियों
के पास भेजा जाता है।