कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार को लेकर खासा सख्त रूख अपनाया है। हाईकोर्ट ने बेंगलुरु विकास प्राधिकरण के एक अधिकारी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि, सरकारी दफ्तरों में बेकाबू भ्रष्टाचार है।
हाईकोर्ट के जस्टिस के. नटराजन ने कहा कि , 'सरकारी दफ्तरों में भ्रष्ट्राचार बेकाबू हो गया है। बगैर रिश्वत दिए कोई फाइल आगे नहीं बढ़ती है। बीडीए के सहायक इंजीनियर बीटी राजू को जमानत देने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा याचिकाकर्ता को इस वक्त जमानत नहीं दी जा सकती है।'
दरअसल, बीडीए ने उचित अधिग्रहण कार्यवाही किए बगैर सुवलाल जैन और सुरेश चंद जैन की जमीन सड़क निर्माण के लिए ले ली थी। जैन के जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी धारक मंजूनाथ ने ज़मीन के बदले वैकल्पिक जमीन देने के लिए बीडीए में नवंबर 2021 में आवेदन दायर किया था। जिसे अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण अधिकारी और उसके बाद सर्वेयर और फिर एक्जिक्युटिव इंजीनियर और अंत में 3 जनवरी, 2022 को सहायक इंजीनियर राजू के सामने भेजा गया था। राजू ने इसे एसीबी से उन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार किए जाने तक 6 महीने तक लटका के रखा।
इसके बाद जमीन देने के बदले इंजीनियर बीटी राजू ने कथित तौर पर एक करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी। बाद में यह 60 लाख रुपये कम कर दी थी। इसके बाद 7 जून, 2022 को उसे 5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। कर्नाटक एसीबी की टीम ने राजू को एक कार में घूस लेते पकड़ा था। इससे पहले एसीबी ने राजू की एक कॉल रिकॉर्डिंग हासिल की थी। जिसमें उसने रिश्वत की मांग की थी।