बृहस्पतिवार को नवरात्र के पहले दिन क्षेत्र के देवीधुरा पर्वत पर निर्माणाधीन मृत्युंजय महादेव मंदिर के 45 फीट ऊंचे गुंबद के प्रथम चरण का कार्य पूरा हो गया है। इस अवसर पर क्षेत्र के 33 गांवों के लोग बड़ी संख्या में यहां पहुंचे और महामृत्युंजय भगवान के जयकारे लगाए। आचार्य सुरेंद्र पांडेय, मोहनप्रसाद शास्त्री, भगवती सती तथा मंदिर के पुजारी रावल रामसिंह, थानसिंह ने पूजा अर्चना के बाद निर्माणाधीन मंदिर को बंद करने की प्रक्रिया पूरी की। इस मंदिर का निर्माण केदारनाथ मंदिर की दर्ज पर किया जा रहा है। नवीं सदी में कन्नौज के राजाओं की ओर से स्थापित यह मंदिर सोलहवीं, सत्रहवीं में गोरखाओं के आक्रमण के दौरान ध्वस्त हो गया था। अब वर्ष 2015 से इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। 33 गांवों की ग्राम कमेटियां इस मंदिर के रखरखाव का जिम्मा संभालती हैं। मंदिर के लिए राजस्थान से ललित पुर ग्रे नाम के पत्थर मंगवाए गए हैं और महाराष्ट्र के नामचीन कारीगरों की ओर से इसे केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर बनाया जा रहा है। पर्वत शिखर पर मंदिर तक निर्माण सामग्रियों को पहुंचाने के लिए ट्राली की स्थापना भी यहां की गई है। इसके लिए धन और शिलादान शिव भक्त कर रहे हैं। आज शारदीय नवरात्र पर मंदिर के गुंबद का प्रथम चरण का कार्य पूरा होने पर मंदिर में मंत्रोच्चारण, हवन के साथ गुंबद को बंद कर दिया गया। अभी यह गुंबद छह फिट और ऊंचा बनेगा, जिसके बाद यहां कलश स्थापित किया जाएगा। यह मंदिर पिंडर घाटी का सबसे बड़ा मंदिर होगा। इस दौरान भक्तों ने महामृत्युंजय भगवान के जयकारे लगाए। इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष बृजमोहन बुटोला, सचिव जयपाल सिंह बुटोला, निर्माण समिति के अध्यक्ष भगत सिंह, राजेंद्र सिंह नेगी, चंद्रसिंह नेगी, पुष्कर सिंह, सुरेंद्र प्रसाद पांडेय, रामसिंह रावल और अब्बल सिंह मौजूद रहे।