हरिद्वार: जल संस्थान की लापरवाही लोगों की सेहत पर भारी पड़ सकती है। सालों से शहर के ओवरहेड टैंकों की सफाई नहीं हुई है। इसे अधिकारियों की लापरवाही ही कहेंगे कि एक साल में दो बार ओवरहेड टैंकों की सफाई का नियम होने के बाद भी कई साल बाद भी सफाई नहीं कराई जा रही है।किसी ओवरहेड टैंक की पांच साल तो किसी की सात साल से सफाई नहीं हुई है। गंदा पानी पीने से डायरिया और पेट से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। शहर में करीब 20 ओवरहेड टैंकों से पेयजल की आपूर्ति होती है। ओवरहेड टैंकों से जलापूर्ति सुचारु करने और देखरेख करने की जिम्मेदारी जल संस्थान की है। एक साल में दो बार टैंकों की सफाई किए जाने का नियम है। हर छह महीने में सफाई होनी जरूरी है। लेकिन, जल संस्थान के अधिकारी लापरवाही के चलते सात साल से टैंकों की सफाई ही नहीं हो पाई। ज्वालापुर, शिवलोक कॉलोनी, नया हरिद्वार, देवपुरा, मायापुर में छानबीन की तो सामने आया कि टैंकों की लंबे समय से सफाई ही नहीं हुई है। जिससे टैंकों में गंदगी भरी है। टैंकों के बाहर सफाई वाले दिन की तिथि और वर्ष देखा तो किसी टैंक की पांच तो किसी की सात पहले सफाई हुई थी।