भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व 22 अगस्त को मनाया जाएगा। इस साल भद्रा का साया सूर्योदय के 16 मिनट तक ही रहने से बहनों को अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ज्योतिष के हिसाब से भद्रा काल में राखी बांधना उचित नहीं है। रक्षाबंधन का त्योहार रविवार 22 अगस्त को आ रहा है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनके सुखी और दीर्घायु जीवन की कामना करती हैं। वहीं भाई बहनों को उपहार के साथ जीवनभर उनकी रक्षा का वचन देते हैं। पौराणिक कथाओं में भी रक्षाबंधन के बारे में जानकारी मिलती है। पूर्णिमा तिथि 21 अगस्त शनिवार को शाम से शुरू होकर 22 अगस्त रविवार की शाम तक रहेगी।
ऐसे में उदया तिथि 22 अगस्त को होने से एक मत से रक्षाबंधन का पर्व 22 अगस्त को मनाना शास्त्र सम्मत है।
खास बात यह है कि इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा आड़े नहीं आएगी। 22 अगस्त को भद्रा का साया सुबह 6.16 बजे तक ही रहेगा, जिससे बहनें सुबह से दिनभर सूर्यास्त से पहले तक राखी बांध सकेंगी। पिछले साल रक्षाबंधन पर्व के समय कोरोना का संकट अधिक होने के कारण भाई-बहनों ने अपने घरों से एक-दूसरे के सुखमय जीवन की प्रार्थना करते हुए पर्व मनाया था। हालांकि इस बार भी कोरोना काल चल रहा है, लेकिन उसका प्रभाव धीमा होने से रक्षाबंधन का पर्व उल्लास के साथ मनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। ज्योतिषाचार्य पं उदय शंकर भट्ट का कहना है कि भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है। शास्त्रों में लिखा है कि भद्रा के वक्त कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि 6.17 बजे के बाद दिनभर रखी बांधी जा सकेगी।