उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आज 20 दिसंबर को अपना जन्मदिन मना रहे हैं। उनके इस खास दिन पर जानते हैं उनके राजनीतिक सफऱ से जुड़ी अहम जानकारी और फिर आपको बताएंगे उनकी शादी से जुड़ा ऐसा रोचक किस्सा जो शायद आपको मालूम न हो..
1. उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के गांव खैरासैण में जन्मे त्रिवेंद्र सिंह रावत 1979 में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ में शामिल हुए थे और वह 1981 में संघ प्रचारक बनेl खास बात ये है की मात्र 19 साल की उम्र में वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे।
2. उन्हें 1981 में उत्तराखण्ड के लांसडाउन में और 1983 में उत्तराखण्ड के श्रीनगर में संघ का तहसील प्रचारक नियुक्त किया गया थाl 1985 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को उत्तराखण्ड के देहरादून में संघ का नगर प्रचारक नियुक्त किया गया थाl 1989 में उन्हें मेरठ में "राष्ट्रदेव" का एडिटर नियुक्त किया गया था। 1993 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को भारतीय जनता पार्टी का "संगठन मंत्री" नियुक्त किया गया l त्रिवेंद्र सिंह रावत 1997 से 2002 तक उत्तरप्रदेश और उत्तराखण्ड में भारतीय जनता पार्टी के “संगठन मंत्री" के पद पर रहेl
3. उत्तराखंड बनने के बाद 2002 में रावत पहली बार डोईवाला सीट से विधायक चुने गए थे। 2012 में उन्होंने राज्य की रायपुर सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए।2013 में पार्टी ने त्रिवेंद्र रावत को राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी।2014 में डोईवाला के उपचुनाव में उन्हें हार मिली, जबकि 2017 में हुए चुनाव में वह डोईवाला से जीत गए। 2017 में उन्हे मुखमंत्री बनाया गया लेकिन उनका कार्यकाल पूरा हो इससे पहले ही हटा दिया गया।
4. वहीं अगर उनकी निजी जीवन की बात करें तो सैनिक परिवार से जुड़े त्रिवेंद्र रावत के पिता प्रताप सिंह रावत गढ़वाल राइफल्स में सैनिक रहते हुए दूसरे विश्वयुद्ध में जंग लड़ चुके हैं। वहीं उत्तराखंड आंदोलन में त्रिवेंद्र की अहम भूमिका रही। वह कई बार गिरफ्तार हुए और जेल भी गए।
5. उनके जीवन का सबसे रोचक किस्सा उनकी शादी से ही जुड़ा हुआ है। ये बात बहुत कम लोग जानते है की त्रिवेंद्र सिंह रावत की शादी 1994 में राज्य आंदोलन के दौरान हुई। त्रिवेंद्र बारात लेकर पौड़ी पहुंचे तो उस वक्त वहां कर्फ्यू लगा हुआ था। दरअसल दो अक्तूबर को मुजफ्फरनगर कांड के बाद राज्य में कई जगह हिंसा होने के कारण कर्फ्यू लगा हुआ था। इसमें पौड़ी शहर भी शामिल था। राहत की बात ये रही की इस दौरान चंद घंटों के लिए कर्फ्यू में ढील मिल गई। फिर जल्द बाजी में शादी की रस्म हुई और बारात वापस अपने घर लौटी।