उत्तराखंड के इस नेशनल हाईवे पर जान हथेली पर रखकर यात्री सफर करने को मजबूर हो रहे हैं। पिथौरागढ़ टनकपुर एनएच पर सुरक्षित यात्रा भगवान भरोसे पूरी हो रही है। सीमांत जनपद में दिल्ली बैंड व चुपकोट में पहाड़ी से मौत के बोल्डर लटक रहे हैं। इसके अलावा 12से अधिक ऐसे स्थान हैं जहां कभी भी पहाड़ी से लटक रहे बोल्डर सड़क पर चलते वाहनों के लिए मुसीबत बन सकते हैं।
ऑल वेदर सड़क बनने के बाद पिथौरागढ़ से टनकपुर का सफर पहले की तुलना में जिस तरह से काफी आरामदायक हो गया है। उसी तरह इस सड़क में हाई रिस्क जोन भी बन गए हैं। जहां पर पहाड़ी से लटक रहे बोल्डर व गिरते पत्थरों के बीच यात्री व माल वाहन आवाजाही करते हैं।पिथौरागढ़ से टनकपुर तक रोज इस एनएच पर 1500से अधिक वाहनों में 7हजार से अधिक लोग आवाजाही करते हैं। पिछले दो सालों में जिस तरह ऑल वेदर बनने के बाद यह सड़क बिना वेदर ही जवाब दे रही है। उससे निर्माण व निर्माण तकनीक को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस पूरी सड़क के निर्माण में पहली बार कहीं पर भी विस्फोटक का प्रयोग नहीं किया गया।