तीसरी लहर की तैयारी के नाम पर सरकारी अस्पतालों को केवल चिकित्सा उपकरण थमाए जा रहे हैं। एसपीएस राजकीय अस्पताल को गंभीर कोविड मरीजों के इलाज के लिए 21 वेंटिलेटर मिले थे। लेकिन सभी वेंटिलेटर बंद पड़े है। वेंटिलेटर के संचालन के लिए अस्पताल के पास विशेषज्ञ और प्रशिक्षित स्टाफ ही नहीं है।
सरकार कोरोना की आशंकित तीसरी लहर से निपटने की पुख्ता तैयारी का दावा कर रही है। लेकिन सरकार की कोविड व्यवस्थाएं केवल अस्पतालों को चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराने तक सीमित है। एसपीएस राजकीय अस्पताल में गंभीर कोविड मरीजों के इलाज के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत 21 वेंटिलेटर मिले थे। अस्पताल में सभी वेंटिलेटर स्थापति कर दिए गए थे। लेकिन दूसरी लहर के दौरान ये वेंटिलेटर अस्पताल में केवल शोपीस बन रहे। असल में वेंटिलेटर के संचालन के लिए एनेस्थेटिक, टेक्नीशियन और प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ की जरूरत होती है। तीन शिफ्ट में वेंटिलेटर बेड के संचालन के लिए अस्पताल को दो एनेस्थेटिक, 10 टेक्नीशियन और आठ प्रशिक्षित स्टाफ नर्स की जरूरत है। लेकिन अस्पताल के पास एक भी एनेस्थेटिक, टेक्नीशियन या प्रशिक्षित स्टाफ नर्स नहीं है। ऐसे में अगर तीसरी लहर आती है सभी वेंटिलेटर एक बार फिर केवल कबाड़ साबित होंगे।