जिला नैनीताल स्थित में झील में गिरने वाले नालों के मुहाने भले ही साफ हों मगर शहर की पहाड़ियों पर जमकर अतिक्रमण हुआ है। अवैध निर्माण करने वाले नालों पर लगातार अतिक्रमण कर रहे हैं और प्राधिकरण की टीमें भी इसको नजरअंदाज कर रही हैं। गंदगी व अतिक्रमण से पटे नाले सरकारी तंत्र की कलई खोलने के साथ ही झील के अस्तित्व पर संकट खड़ा कर रहे हैं। ब्रिटिशकाल में शहर की भौगोलिक बनावट व संवेदनशीलता को देखते हुए पहाड़ियों पर नालों का निर्माण किया गया। इसमें 62 बड़े नाले हैं। जिनमें अधिकांश झील में गिरते हैं। इन्हीं छोटे-बड़े नालों से साल भर झील रिचार्ज होती है। हालिया सालों में इन नालों में लगातार अतिक्रमण बढ़ रहा है। अतिक्रमण की वजह से छोटे दर्जनों नालों का वजूद ही खत्म हो गया जबकि आधा दर्जन से अधिक बड़े नाले भी अतिक्रमण की वजह से संकरे हो गए हैं। इन नालों के किनारे अवैध निर्माण, मलबा व कूड़ा फेंकने से गंदगी हो रही है। हाईकोर्ट के आदेश पर नालों के मुहाने माल रोड समेत तल्लीताल तक अतिक्रमण हटाया गया। उधर शहर के ऊपरी पहाड़ियों पर बसे इलाकों में नालों पर अतिक्रमण बड़ा खतरा बनता जा रहा है। सिंचाई विभाग की ओर से सात करोड़ की लागत से इन नालों के पुनर्निर्माण व मरम्मत काम किया जा रहा है। पिछले दिनों डीएम सविन बंसल ने नालों का निरीक्षण किया तो सिंचाई विभाग ने नालों के मुहाने चकाचक बना दिये जबकि ऊपरी इलाको के नालों में अतिक्रमण व गंदगी की ओर पीठ फेर ली। पोस्ट ऑफिस के समीप, सात नंबर आदि बड़ी आबादी के क्षेत्र के नाले गंदगी से बजबजा रहे हैं। झाड़ियां भी उगी हैं। क्षेत्रवासियों के अनुसार नालों पर रसूखदार अतिक्रमण भी कर रहे हैं, शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है। जो भविष्य के लिए खतरे का संकेत है।