Read in App

DevBhoomi Insider Desk
• Sat, 26 Mar 2022 12:55 pm IST


कहीं इंटरनेट की रफ्तार तो कहीं संसाधनों की कमी


कोरोनाकाल में शुरू की गई ऑनलाइन पढ़ाई में कई छात्रों ने रुचि दिखाई तो कई छात्रों ने कम दिलचस्पी ली। कहीं इंटरनेट की रफ्तार तो कहीं संसाधनों की कमी ने ऑनलाइन पढ़ाई को प्रभावित किया। हालांकि कोरोनाकाल में ऑनलाइन पढ़ाई से विद्यार्थी और शिक्षकों का तकनीकी कौशल जरूर बढ़ा है।कोविड-19 की रोकथाम के लिए जब देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया था तो उसके तुरंत बाद सरकार ने स्कूली शिक्षा को ऑनलाइन करने का प्रावधान शुरू कर दिया था। इस दौरान शिक्षा प्रदान करने के लिए संवाद के सभी उपलब्ध माध्यमों का इस्तेमाल शुरू किया गया। ऑनलाइन पढ़ाई के चलते पूरी तरह बेफिक्र हुए बच्चों में अब ऑफलाइन कक्षाओं में उत्साह जरूर है लेकिन उनकी सीखने की क्षमता प्रभावित हुई है।स्कूलों में अधिकतर बच्चे अब भी अपना ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं। ऑनलाइन कक्षाओं के तहत संसाधनों की कमी का सबसे अधिक सामना ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को करना पड़ा। शिक्षकों के मुताबिक कई छात्रों के पास ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने के लिए जरूरी संसाधन नहीं थे। इसमें स्मार्ट फोन, लैपटॉप या इंटरनेट जैसे संसाधन प्रमुख हैं। इन बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई पर भी असर पड़ा। हालांकि ऐसे छात्रों ने साथी छात्रों की सहायता से किसी तरह पढ़ाई की और आगे बढ़े। शिक्षाविद् मानते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान घर पर रहने से बच्चों में किसी प्रकार का दबाव नहीं था।राजकीय महाविद्यालय भतरौंजखान के प्रभारी प्राचार्य डॉ. शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि कोविड-19 के दौरान सबसे ज्यादा प्रभाव शिक्षा पर पड़ा। चाहे वो प्राथमिक, माध्यमिक या उच्च शिक्षा हो। जिन छात्र-छात्राओं की परिवार की स्थिति अत्यंत कमजोर रही उन परिवारों में कोविड के दौरान अवसाद पैदा हो गया। एक तरफ तो उनके परिवार की आय का स्रोत छिन गया और दूसरी तरफ शिक्षा का अवसर भी। डॉ. शैलेंद्र यूट्यूब के माध्यम से 500 से अधिक वीडियो के माध्यम से छात्र-छात्राओं को पढ़ा रहे हैं। इसका लाभ सभी छात्रों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई अवसाद से निजात दिलाने में सहायक होने के साथ ही ये अवसाद का कारण भी हो सकता है।नेटवर्क की समस्या से कई बार ऑनलाइन पढ़ाई बाधित रही। जिस कारण पूरा टॉपिक समझ नहीं आ पाता था। ऑफलाइन क्लास में सबसे अच्छी बात ये थी कि हम सीधे संबंधित विषय के शिक्षक से सवाल पूछ सकते हैं। साथ ही अन्य सहपाठियों से भी सवालों को लेकर चर्चा करने का मौका मिलता था।