यूपसीएल ने महंगे दामों पर ही सही लेकिन नेशनल एक्सचेंज से बिजली खरीद ही ली। यूपसीएल जानता है कि रोस्टर यानि कटौती किल्लत का स्थायी हल नही हो सकता। वो भी तब जब बिजली पर आधारित उद्योगों पर प्रभाव इतना ज्यादा है कि उत्पादन की प्रक्रिया बाधित होने लगी है। हालाकि ये भी समझ लीजिए की सम्स्या से महज राहत मिली है ये राज्य से पूरी तरह रवाना नही हुई है। यूपसीएल ने बेशक नेशनल एक्सचेंज से सात से साढ़े सात रुपये यूनिट के हिसाब से 26 लाख यूनिट बिजली खरीदी है लेकिन अब भी करीब 16 लाख यूनिट बिजली की कमी जस की तस रहेगी। बात घुमकर फिर वहीं आ गई। ये कमी पूरी कैसे होगी?