नैनीताल। ग्रामीणों के सुख-दुख की खोज खबर कौन ले हमारे जनप्रतिनिधि तो ऐसे हैं जो नैनीताल से 14 किलोमीटर दूर जमीरा गांव में वोट मांगने के लिए भी नहीं जाते हैं। जमीरा गांव से वोट नहीं मिल रहा है तो उनकी मूलभूत समस्याओं को भी दूर नहीं कराया। गांव के लोग सड़क के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन और दूरसंचार जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं।
जमीरा गांव में 36 परिवार रहते हैं और खेती पर निर्भर हैं। चुनाव से पहले नेता और उनके समर्थक गांव-गांव जाकर वोट मांगते हैं मगर जमीरा गांव कोई नेता नहीं जाता है। गांव के लोग वर्ष 2003 से लगातार क्षेत्र में सड़क की मांग कर रहे हैं। आज तक गांव में सड़क नहीं पहुंची है। ग्रामीण बताते हैं कि वर्ष 2002 में जीत के बाद डॉ. नारायण सिंह जंतवाल जमीरा पहुंचे थे। उसके बाद वर्ष 2007 में जीत के बाद खड़क सिंह बोरा भी क्षेत्र में पहुंचकर लोगों की समस्याएं सुनी थीं। उसके बाद से कोई नेता जमीरा में गांव न तो वोट मांगने पहुंचा और न ही ग्रामीणों की सुध ली। बीते दस साल में सरिता आर्या और संजीव आर्य दोनों एक-एक बार विधायक रहे लेकिन दोनों न तो वोट मांगने आए और न ही कभी समस्या सुनने।