मां नंदा की लोकजात ज्यूं-ज्यूं कैलाश हिमालय की ओर बढ़ रही है श्रद्धालुओं के सब्र का बांध भी टूट रहा है। गांवों से अपनी ईष्ट देवी नंदा माता को विदा करते वक्त ग्रामीण भावुक हो रहे हैं। मां नंदा को जागरों के माध्यम से विदा कर अगले वर्ष फिर मायके आने का न्योता दिया जा रहा है। मां नंदा को ससुराल भेजने से पहले हर गांव में समोण के रूप में ककड़ी, मकई, मेवा, चूड़ी, कंगन सहित अन्य चीजें भेंट स्वरूप दी जा रही है। सिद्धपीठ कुरुड़ से शुरू हुई यह लोकजात रविवार को अपने 13वें पड़ाव रामणी गांव पहुंची।