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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 27 Sep 2022 6:30 am IST


नवरात्रि का दूसरा दिन: आज करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें विधि, मंत्र और महत्व


शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि के इन पावन दिनों में माता रानी के भक्त उनके नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। जिसमें से पहले दिन दुर्गा मां के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं। वहीं नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्माचारिणी स्वरुप की पूजा की जाती हैं। इस दिन मां ब्रह्माचारिणी की कृपा पाने के लिए भक्त तरह-तरह के जतन करते हैं, व्रत रखते हैं, मन्नत मांगते हैं। साथ ही भोग आदि तैयार करते हैं। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी संसार में ऊर्जा का प्रवाह करती हैं। मां ब्रह्माचारिणी की कृपा से मनुष्य को आंतरिक शांति प्राप्त होती है। 27 सितंबर को मां ब्रह्माचारिणी की पूजा की जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, कथा, मंत्र आदि के बारे में।   

शारदीय नवरात्रि द्वितीया तिथि 
नवरात्रि के दूसरे मां ब्रह्माचारिणी की पूजा का विधान है। द्वितीया तिथि की शुरुआत 27 सितंबर को सुबह 03:09 बजे से ही रही है, जो कि अगले दिन 28 सितंबर को सुबह 02:28 बजे तक है। 

कैसा है मां ब्रह्माचारिणी स्वरूप ?
शास्त्रों में मां ब्रह्माचारिणी को ज्ञान और तप की देवी माना जाता है। कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां ब्रह्माचारिणी की पूजा करते हैं, उन्हें धैर्य के साथ ज्ञान की प्राप्ति होती है। ब्रह्म का मतलब तपस्या होता है, तो वहीं चारिणी का मतलब आचरण करने वाली। इस तरह ब्रह्माचारिणी का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली। मां ब्रह्माचारिणी के दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं में कमंडल है।  
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना में सर्वप्रथम माता को दूध, दही, चीनी, गाय का घी और शहद से स्नान कराएं। पुष्प, अक्षत, रोली, चंदन, हल्दी, मेंहदी से पूजा करे। ऋतुफल, मिठाई, पंचमेवा, पंचामृत, वस्त्र आदि समर्पित करें। स्थापित कलश की पूजा करें। इसके बाद नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, का पूजन करें। अब हाथों में एक लाल फूल लेकर देवी का ध्यान करें और हाथ जोड़ते हुए प्रार्थना करते हुए मंत्र का उच्चारण करें।
इधाना कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु
देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा
माता के साथ महादेव की आराधना करें और ब्रह्माजी के नाम से जल, फूल, अक्षत आदि हाथ में लेकर 'ऊं ब्रह्मणे नम: ' कहते हुए इसे भूमि पर छोड़ दें। माता को लाल फूल प्रिय है, इसलिए लाल फूल देवी को समर्पित करें। देवी के सामने धूपबत्ती और घी का दीपक लगाए। माता की दीप और कर्पूर से आरती करें।
  
देवी का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।