उत्तराखंड की विशेष सांस्कृतिक पहचान हिलजात्रा बुधवार को कुमौड़ गांव में धूमधाम से आयोजित हुई। देश के 11 हिमालयी राज्यों की तरह ही इस मुखौटा नृत्य को देखने के लिए लोगों को हुजूम उमड़ा। धार्मिक आस्था और मनोरंजन से जुड़े इस आयोजन में पहुंचे लोगों ने भगवान शिव के गण माने जाने वाले वीरभ्रद (लखिया) का आशीर्वाद लिया और क्षेत्र की समृद्धि की कामना की। बुधवार को कुमौड़ गांव के आयोजन के परंपरागत मैदान में हिलजात्रा का भव्य मंचन सायं पांच बजे शुरू हुआ। करीब तीन घंटे तक चले इस आयोजन की शुभारंभ सूत्रधार घोड़िया के पात्र ने संदेश देकर की। इसी के साथ मैदान में हिलजात्रा के पात्र आने लगे जिसमें सबसे पहले मैदान को साफ करने के लिए झाडृू वाला पहुंचा। इसके बाद दही विक्रेता, मछुवारा, बड़े बैलों की जोड़ी, नेपाली बैलों की जोडी, नटखट माने जाने वाला गाल्या बैल, हिरण- चितल, वयोवृद्ध महिला, पर्वतीय क्षेत्रों की संस्कृति का अंग पुतारियों ने मैदान में पहुंचकर अपने-अपने अभिनय के जरिए सोर घाटी की विशिष्ट लोक संस्कृति को जीवंत किया। हिलजात्रा में रोपाई के मंचन ने खेती में सामूहिकता और गांवों के मजबूत सामाजिक संबंधों का संदेश दिया।