गंगा की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखा जाएगा... शिवानंद सरस्वती
हरिद्वार। मां गंगा की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले मातृ सदन के ब्रह्मचारी स्वामी निगमानंद को उनकी पुण्यतिथि पर वेबीनार के माध्यम से आयोजित श्रद्धांजलि सभा में श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए ।
इस दौरान गंगा की रक्षा के लिए लगातार संघर्षरत रहने का संकल्प दोहराया गया और सरकारों पर गंगा की अविरलता तथा स्वच्छता के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया गया।
श्रद्धांजलि सभा व वेबिनार में देश के विभिन्न राज्यों से विविध क्षेत्रों में कार्य करने वाले बुद्धिजीवीयों ने स्वामी निगमानंद को श्रद्धांजलि समर्पित की, साथ ही उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प किया । वेबिनार में सम्मिलित हुए अतिथियों ने गंगाजी के निरंतर हो रहे दोहन पर अपने विचार व्यक्त किये । साथ ही यह भी माना कि कोरोना महामारी से बचने के लिए गंगाजी को बचाना सबसे महत्वपूर्ण है । मातृ सदन के संस्थापक एवं अध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि यदि समाज में किसी संत की इस प्रकार निर्मम हत्या कर दी जाए, और न्याय के सारे दरवाज़े भी क्षीण हो जाएं, तो अंत में प्रकृति स्वयं न्याय करती है और ऐसा हमें आज इस भीषण महामारी से प्रत्यक्ष देखने मिल रहा है । जल पुरुष डॉ राजेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रकृति की आज़ादी ही कोरोना का मुख्य इलाज है । मनोज मिश्रा जी ने गंगाजी और प्रकृति के 'इकोसिस्टम रेस्टोरेशन' की बात कही, और समाज के बुद्धजीवी वर्ग से यह अपील किया कि वे संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव को क्रियान्वित करें । मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडेय ने कहा कि मातृ सदन के सन्यासियों द्वारा दिए गए बलिदान से सारे समाज को प्रेरणा लेनी चाहिये । डॉ विजय वर्मा जी ने कहा कि अगर कोरोना जैसा वायरस इतनी भीषण महामारी ला सकता है, तो प्रकृति अपने विकराल रूप में कितनी तबाही लाएगी, इसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है । सभा में शामिल हुए अतिथियों में वैज्ञानिक रवि चोपड़ा, बाल पर्यावरणविद रिद्धिमा पांडेय, सत्यनारायण बोलिसेट्टी, तापस दास, मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ मनोज मिश्र, परितोष त्यागी जी राज कुमार झा, डॉ विजय वर्मा और मगनू झा ब्रह्मचारी दयानंद ब्रह्मचारी आत्मानंद समेत अन्य लोगों ने हिस्सा लिया।