लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो गया जो 23 सितंबर तक चलेगा। 18वीं विधानसभा के दूसरे सत्र को शांतिपूर्ण तरीके से चलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में रविवार को सर्वदलीय बैठक भी हुई थी। इसमें उन्होंने सभी सियासी दलों से सदन को सुचारू रूप से चलाने में मदद का अनुरोध किया, लेकिन विपक्ष ने महंगाई व कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार घेरने की घोषणा की। सोमवार को सत्र के पहले दिन सभी सदस्यों ने कोरोना काल में मृतक विधायकों व पूर्व विधायक अरविंद गिरी के निधन पर शोक जताया और सत्र को स्थगित कर दिया। जबकि, समाजवादी पार्टी ने धरना स्थल पर ही शोक व्यक्त किया।
वहीं, समाजवादी पार्टी के पैदल मार्च व धरना प्रदर्शन पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सपा के डीएनए में ही अराजकता है। सपा के लोग अव्यवस्था खड़ी करते हैं और अराजकता न हो इसलिए उन्हें रोका गया। उन्होंने कहा, सपा का गुंडे, मवालियों, माफियाओं और अपराधियों को सानिध्य देने का पुराना इतिहास रहा है। हमें स्थानीय खुफिया रिपोर्ट में सपा द्वारा हिंसा की आशंका जताई गई थी, जिस कारण उन्हें हजरतगंज जैसे व्यस्ततम चौराहे व मुख्य मार्ग से आने से रोका गया। हालांकि, उनको वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध कराया गया था, लेकिन वे लोग इस पर नहीं आए। डिप्टी सीएम ने कहा कि विधानसभा सत्र में शामिल होने का अधिकार सभी का है और उन्हें कोई नहीं रोक रहा, लेकिन अराजकता फैलाने का अधिकार किसी को नहीं है।
अखिलेश यादव ने लगाए गंभीर आरोप
वहीं, पैदल मार्च रोके
जाने पर विरोध प्रदर्शन के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी में योगी
सरकार को दोबारा मौका मिला है, लेकिन सड़क पर हर ओर गड्ढे हैं। किसान बाढ़ और जलभराव से परेशान
है। कुछ हिस्सों में तो सूखा पड़ा है, लेकिन किसानों
को राहत नहीं दी गई है। जानवर भी बड़े पैमाने पर बीमारी से मर रहे हैं और लंपी
वायरस के कारण हजारों गाय की मौत हो चुकी है। लेकिन, सरकार नहीं सुन
रही है। सपा सुप्रीमो ने कहा कि महंगाई देखिए कितनी हो गई है। दूध-दही पर भी GST लगा दी गई है। खाने-पीने
की चीजें महंगी होती जा रही हैं और युवाओं नौकरी नहीं दे पा रहे हैं। प्राइवेटलाइजेशन
करना कोई विकल्प नहीं होता। कोई ऐसा विभाग नहीं, जो सरकार बेच न रही हो।