रुद्रप्रयाग-पंचकेदार में द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट 24 मई और तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट 17 मई को खोले जाएंगे। ओंकारेश्वर और मार्कण्डेय मंदिर में पंचांग गणना से कपाट खुलने की तिथि तय की गई। कपाट खुलने के बाद छह माह तक श्रद्धालु कर सकेंगे अपने आराध्य के दर्शन। बैसाखी के पावन पर्व पर पंचकेदार गद्ददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में वेदपाठी आचार्य यशोधर प्रसाद मैठाणी ने विधि-विधान के साथ पंचांग गणना से द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट खोलने की तिथि निश्चित की। पंचांग गणना के आधार पर 20 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में द्वितीय केदार मद्महेश्वर की भोग मूर्तियों को गर्भगृह से सभामंडप में विराजमान किया जाएगा। 21 मई को आराध्य की डोली सभामंडप में ही विराजमान रहेगी, जबकि 22 मई को आराध्य की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल से अपने मूल स्थान मद्महेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी। जबकि 24 मई को विशेष पूजा-अर्चना के साथ सिंह लग्न में पूर्वाह्न 11 बजे द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। उधर, मार्कण्डेय मंदिर मक्कूमठ में मठाधिपति राम प्रसाद मैठाणी की मौजूदगी में पुजारियों ने तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट खोलने की तिथि निश्चित की। तृतीय केदार तुंगनाथ 14 मई को शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कण्डेय मंदिर से अपने मूल स्थान के लिए प्रस्थान करते हुए भूतनाथ मंदिर में पहुंचेंगे। जहां पर ग्रामीण उन्हें नए अनाज का भोग (छाबड़ी) लगाएंगे। 17 मई को आराध्य की डोली तुंगनाथ पहुंचेगी, जहां पर मध्याह्न 12 बजे तुंगनाथ के कपाट खोले जाएंगे। इसके बाद छह माह तक श्रद्धालु आराध्य के यहीं दर्शन करेंगे। इस अवसर पर पुजारी शिव शंकर लिंग, बागेश लिंग, टी गंगाधर लिंग, शिवि लिंग, पूर्व विधायक आशा नौटियाल, देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी, प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर पुष्पवाण, मंदिर प्रबंधक प्रकाश पुरोहित, पूर्व प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद भट्ट, रमेश नौटियाल, पुष्कर रावत और एपी मलासी मौजूद थे।