त्योहार सीजन नजदीक आते ही शहर में मिलावटखोर सक्रिय हो गए हैं। स्थानीय स्तर पर मिलावटखोरी करने वाले दूध, दही, घी, मावा, मिठाई आदि को ताजा व खुशबूदार बनाए रखने के लिए सिंथेटिक दूध, मैदा, वनस्पति घी, आलू, आरारोट आदि मिलाते हैं। जबकि बड़े मिलावटखोर इसके लिए स्टार्च, सोडा, यूरिया, डिटर्जेंट आदि इस्तेमाल करते हैं।
वहीं लाल मिर्च में ईंट और काली में पपीते के बीज की मिलावट हो रही है। चूंकि यह सभी चीजें हमारी दिनचर्या का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इनके प्रति और अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है। यदि खरीदारी करते समय सावधानी बरती जाए तो सेहत को बिगड़ने से बचा सकते हैं। इसके अलावा घर पर भी मिलावट की जांच आसानी से कर सकते हैं।
खाद्य सुरक्षा निरीक्षक कैलाश टम्टा ने लोगों से जागरूक होकर खरीददारी करने की अपील की है। सिंथेटिक मावा पानी में मिलाकर फेटने पर टुकड़ों में बंटकर अलग हो जाता है। जबकि शुद्ध मावा पतला होकर पानी में घुल जाएगा और टूटेगा नहीं। मावा यदि अंगुलियों से मसलने के बाद दानेदार है तो मिलावटी होगा।