पौष महीने में सूर्य पूजा का बहुत महत्व है। ग्रंथों के मुताबिक इस महीने सूर्य पूजा से बीमारियां दूर होती हैं। पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य पूजा करने और अर्घ्य देने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन सूर्य पूजा और व्रत करने से उम्र बढ़ती है। साथ ही हर तरह की परेशानियां दूर होने लगती हैं।
पूजा विधि
सूर्योदय से पहले स्नान के बाद तांबे के लोटे में शुद्धजल भर लें। उसके साथ ही लोटे में लाल चंदन, लाल फूल, चावल और कुछ गेहूं के दाने भी डाल लें। ऊं घृणि सूर्याय नम: मंत्र बोलें और उगते हुए सूरज को इस लोटे का जल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान भास्कर को नमस्कार करें। गायत्री मंत्र का जाप करें और हो सके तो आदित्य हृदय स्तोत्र का भी पाठ करें। इसके अलावा भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप भी कर सकते हैं।
व्रत विधि
सूर्य के सामने बैठकर दिनभर बिना नमक का व्रत करने का संकल्प लें। संभव हो तो पूरे दिन तांबे के बर्तन का पानी पीएं। पूरे दिन व्रत रखें और फलाहर में नमक न खाएं। एक समय भोजन करें तो उसमें भी नमक का इस्तेमाल न करें। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धानुसार भोजन, वस्त्र या कोई भी उपयोगी वस्तु दान करें। गाय को चारा खिलाएं और अन्य पशु-पक्षियों को भी खाने की कोई वस्तु खिलाएं।
दूर होती हैं बीमारियां
पौष महीने की सप्तमी पर सूर्य को जल चढ़ाने से बुद्धि तेज होती है और मानसिक शांति मिलती है। ग्रंथों में लिखा है कि ऐसा इंसान कभी अंधा,दरिद्र और दुखी नहीं रहता। सूर्य पूजा करने से रोग दूर हो जाते हैं। इस दिन दान करने से पुण्य बढ़ता है और लक्ष्मीजी भी प्रसन्न होती हैं। पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह व्रत करने से पिता और पुत्र में प्रेम बना रहता है। इस दिन सामर्थ्य के अनुसार गरीबों और ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।