- बुध राजा और मंत्री होंगे शुक्र, जानिए ज्योतिषाचार्य राजेंद्र तिवारी से नए विक्रम संवत में क्या है खास
हिंदू नववर्ष का आरंभ चैत्र माह से होता है। हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत पर आधारित है। इसे नव संवत्सर भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य राजेंद्र तिवारी के अनुसार इसकी शुरुआत महाराज विक्रमादित्य ने की थी, इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है। राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में सबसे बड़े खगोल शास्त्री वराहमिहिर थे, जिनकी सहायता से संवत के प्रसार में मदद मिली। ये अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है जैसे 2023+57= 2080 विक्रम संवत 22 मार्च से प्रारंभ होगा। हिजरी संवत को छोड़कर सभी कैलेंडर में जनवरी या फरवरी में नए साल का अगाज होता है। भारत में कई कैलेंडर प्रचलित हैं जिनमें विक्रम संवत और शक संवत प्रमुख हैं। पूरी दुनिया में काल गणना के दो ही आधार हैं- सौर चक्र और चंद्र चक्र। सौर चक्र के अनुसार पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में 365 दिन और लगभग छह घंटे लगते हैं। इस तरह देखा जाए तो सौर वर्ष पर आधारित कैलेंडर में साल में 365 दिन होते हैं जबकि चंद्र वर्ष पर आधारित कैलेंडरों में साल में 354 दिन होते हैं। पौराणिक ग्रंथो के अनुसार इसी दिन सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारम्भ की थी। चैत्र मास ही नव वर्ष मनाने के लिए सर्वोत्तम है क्योंकि चैत्र मास में चारों तरफ पुष्प खिलते हैं, वृक्षों पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारों ओर हरियाली देखकर लगता है मानों प्रकृति ही नव वर्ष मना रही हो। चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है तथा गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है। मनुष्य के लिए यह समय प्रत्येक प्रकार के वस्त्र पहनने के लिए उपयुक्त है। चैत्र में नया पंचांग आता है जिससे प्रत्येक भारतीय पर्व, विवाह तथा अन्य मुहूर्त देखे जाते हैं। चैत्र मास में ही फसल कटती है तथा नया अनाज भी घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष भी इसे ही माना जाता है। इस साल विक्रम सांवत 2080 की शुरुआत कई दुर्लभ संयोग में होगी। आइए ज्योतिषाचार्य, वास्तुशास्त्री, भागवत कथा प्रवक्ता और कर्मकांड विशेषज्ञ आचार्य राजेंद्र तिवारी से कि इस नववर्ष में क्या है खास।
इस योग में किए गए कार्य होंगे सफल
ज्योतिषाचार्य राजेंद्र तिवारी के अनुसार हर वर्ष हिंदूओं का नया साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। इस बार हिंदू नववर्ष 22 मार्च से शुरू होगा। हिंदू नववर्ष की शुरुआत दो बेहद शुभ योग में हो रही है। 22 मार्च को शुक्ल और ब्रह्म योग बन रहे हैं। शुक्ल योग को मधुर चांदनी रात की तरह माना गया है, जैसे चांदनी की किरणें स्पष्ट बरसती हैं वैसे ही इस योग में किए कार्य का सफल परिणाम मिलता है। शुक्ल योग 21 मार्च को प्रात 12.42 से 22 मार्च को सुबह 09.18 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य राजेंद्र तिवारी के अनुसार हिंदू नववर्ष के पहले दिन ब्रह्म योग सुबह 9.18 से 23 मार्च को 06.16 मिनट तक रहेगा। कहते हैं कि इस योग में विवाद, झगड़ा सुलझाना उत्तम फलदायी माना गया है।
ग्रहों की रहेगी ये स्थिति
ज्योतिषाचार्य राजेंद्र तिवारी के अनुसार इस साल हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2080 की शुरुआत में सूर्य, बुध, गुरू मीन राशि में, शनि कुंभ राशि में, मंगल मिथुन राशि में, शुक्र, राहु मेष राशि में, केतु तुला राशि में होंगे।
विक्रम संवत के राजा बुध और मंत्री होंगे शुक्र
ज्योतिषाचार्य राजेंद्र तिवारी के अनुसार इस बार विक्रम संवत के राजा बुध और मंत्री शुक्र हैं। कहते हैं जिस संवत के राजा बुध होते हैं उस साल पृथ्वी पर अच्छी बारिश होती है। लोगों की दान-दया तथा धार्मिक कार्यों में प्रवृत्ति बढ़ती है। हिंदू नववर्ष के दिन महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, सिंधी समाज के लोग चेती चंड का पर्व, कर्नाटक में युगादि और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में उगादी, गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय के लोग संवत्सर पड़वो, कश्मीर में नवरेह, मणिपुर में सजिबु नोंगमा पानबा का पर्व मनाते हैं।
हिंदू नववर्ष से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विक्रम संवत के प्रथम दिन ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचाना की थी। प्रभु श्रीराम एवं धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी विक्रम संवत के प्रथम दिन हुआ था। हिंदू नववर्ष के प्रथम दिन से ही नया पंचाग शुरू होता है। एक विक्रम संवत में 12 माह होते हैं, 30 दिनों का एक माह होता है और सात दिनों का एक सप्ताह होता है। इस कैलेंडर में तिथि की गणना होती है। इसी विक्रम संवत कैलेंडर को आधार मानकर अन्य धर्म के लोगों ने अपने कैलेंडर बनाए। विक्रम संवत की प्रत्येक तिथि यानी दिन की गणना सूर्योदय को आधार मानकर किया जाता है। हिंदू कैलेंडर का हर दिन सूर्योदय से शुरु होता है और अगले सूर्योदय तक मान्य होता है। विक्रम संवत के एक माह के दो हिस्से हैं। पहला कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष। 15 दिनों का एक पक्ष होता है। कृष्ण पक्ष का 15 दिन अमावस्या और शुक्ल पक्ष का 15वां दिन पूर्णिमा होती है। विक्रम संवत कैलेंडर का पहला माह चैत्र और 12वां यानी अंतिम माह फाल्गुन होता है। इस कैलेंडर के तिथियों की गणनाएं पंचांग के आधार पर होती हैं। विक्रम संवत कैलेंडर अंग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे है।