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DevBhoomi Insider Desk
• Sun, 13 Nov 2022 8:30 am IST


इसी माह हुआ था राम-जानकी और शिव-पार्वती का विवाह, इसी महीने कृष्ण ने दिया था अर्जुन को गीता ज्ञान


हिंदू पंचांग के अनुसार इस समय अगहन महीना चला रहा है। पुराणों में इसे पवित्र मास कहा गया है। इसी महीने में शिव-पार्वती और राम-सीता का विवाह हुआ था। इस पवित्र महीने में ही श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। वहीं, जानकारों का कहना है कि कश्यप ऋषि ने अगहन मास में ही कश्मीर बसाया था और वृंदावन के बांके बिहारी भी इस महीने में प्रकट हुए थे। वैदिक काल से ही मार्गशीर्ष को बहुत खास माना गया है। इसके नाम से ही पता चलता है कि ये सभी महीनों में शीर्ष पर होने के कारण अग्रणी और सबसे ज्यादा खास है। वेदों में मार्गशीर्ष को सह मास कहा है। यानी ये महीना समानता का है। इस महीने किए गए सभी व्रत और पूजा का पूरा फल जल्दी ही मिलता है। इस माह किए गए हर तरह के शुभ काम भगवान को अर्पित होते हैं।

अगहन में शिव विवाह
शिव पुराण के 35वें अध्याय में रुद्रसंहिता के पार्वती खण्ड में बताया है कि महर्षि वसिष्ठ ने राजा हिमालय को भगवान शिव-पार्वती विवाह के लिए समझाते हुए विवाह का मुहूर्त मार्गशीर्ष महीने में होना तय किया था। जिसके बारे में इस संहिता के 58 से 61 वें श्लोक तक बताया गया है। 

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता ज्ञान
श्रीमद्भागवत के मुताबिक महाभारत के युद्ध में अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर भगवान कृष्ण ने अुर्जन को गीता का ज्ञान दिया था। इसलिए इस तिथि को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। इस बार ये दिन 3 दिसंबर, शनिवार को रहेगा।

श्रीराम-सीता विवाह
धर्म ग्रंथों के जानकरों के मुताबिक अगहन महीने में ही श्रीराम-सीता का विवाह हुआ था। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि त्रेतायुग में मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में श्रीराम-सीता का विवाह हुआ था। इस शुभ पर्व पर तीर्थ स्नान-दान और व्रत-उपवास के साथ भगवान राम-सीता की विशेष पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन को विवाह पंचमी भी कहा जाता है।

प्रकट हुए बांके बिहारी, कश्यप ऋषि ने बनाया कश्मीर
श्रीमद्भागवद्गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि सभी महीनों में मार्गशीर्ष महीना उनका ही स्वरूप है। इसी पवित्र महीने में कश्यप ऋषि ने कश्मीर प्रदेश की रचना शुरू की थी। इस महीने के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि पर वृंदावन के निधिवन में भगवान बांके बिहारी प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन भगवान कृष्ण की बांके बिहारी रूप में महापूजा की जाती है और पूरे ब्रज में महोत्सव मनाया जाता है।