दादा से प्रेरणा लेकर पिथौरागढ़ के सिंतोला धूरा तोक गांव निवासी मनोज खड़ायत एप्पल मैन बन गए हैं। वह बिना किसी सरकारी मदद के सेब की सात, प्लम की दो और खुबानी की छह प्रजातियों का उत्पादन कर रहे हैं। 10 साल तक प्राइवेट नौकरी करने के बाद वह 2025-16 में गांव सिंलोती धूरा वापस लौट आए। गांव आकर देखा तो उनके दादा सेवानिवृत्त सूबेदार जस बहादुर सिंह खड़ायत की ओर से तैयार सेब, खुबानी, अखरोट का बाग पूरी तरह बर्बाद हो गया है। किसी काम से उनका हिमाचल जाना हुआ तो देखा कि वहां सेब का अच्छा उत्पादन होता है। यहीं से उन्होंने दोबारा गांव में सेब का उत्पादन करने का निर्णय लिया।एक तरफ पहाड़ के गांव पलायन से खाली होते जा रहे जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर शहरों से अच्छी नौकरी छोड़ गांव में सेब, सब्जी का उत्पादन कर सिंतोली धूरा तोक के मनोज खड़ायत ने मिसाल कायम की है। मनोज बिना किसी सरकारी सहायता के सेब और सब्जी का उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने अपने दादा से प्रेरणा लेकर सेब का बगीचा तैयार किया है। मनोज ने वर्ष 2015-16 में सिंतोली के धूरा तोक में सेब के 25 पौधे लगाकर सेब का उत्पादन शुरू किया। वर्तमान में उनके पास सेब के 800 प़ेड़ हैं। शुरुआत में उन्होंने गाला, स्टारलेट, सुपरचीफ, रेड स्पट, रेड बिलौक्स, रूट स्टाक एम-19, एम-111, एम- 9 के सेब के पौधे लगाए। इनके सफल प्रयोग के बाद वह डार्क बैरन, सेनिको रेड, किंगरॉट,रूट स्टॉक सेब का उत्पादन कर रहे हैं। नौ साल बाद उनके बगीचे ने बड़ा रूप ले लिया है।वह सरकार की ओर से योजनाओं का लाभ नहीं मिलने से परेशान हैं। मनोज का कहना है कि सरकार योजनाएं तो बनाती है उसे वह धरातल पर कैसे उतरे इस ओर सोचना पड़ेगा।