हरिद्वार संसद में दिए गए भडकाऊ भाषण के मामले में संतों पर दर्ज किए गए मुकदमों व जितेंद्र नारायण त्यागी (वसीम रिजवी) की गिरफ्तारी को लेकर रविवार को प्रतिकार सभा आयोजित की गई। प्रतिकार सभा में संतों ने कहा कि धर्म संसद के आह्वान को नफरती भाषण मानकर जिस प्रकार का उत्तराखंड शासन प्रशासन ने रवैया अपनाया है वह निंदनीय है। जिस तरह पुलिस ने जितेंद्र नारायण त्यागी को गिरफ्तार किया है। उससे संतों में पहले ही भारी आक्रोश था किंतु महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी की रात में गिरफ्तारी ने आग में घी डालने का काम किया है। दोनों ही गिरफ्तारियों में पुलिस का रवैया अंग्रेजी हुकूमत के दमनकारी रवैये से मेल खाता है। धर्म संसद के आयोजक स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए जितेंद्र नारायण त्यागी समाज में सम्मान की दृष्टि से ऊंचा स्थान रखते हैं। वहीं महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी भी सम्मानित संत हैं। संत सनातन धर्म के लिए अपना सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार रहता है। उन्होंने कहा कि देश का कोई भी संत कानून का उल्लंघन नहीं करता है। दबाव में संतों पर जिस प्रकार से मुकदमे दर्ज किए गए और सरकार ने भीड़ तंत्र के प्रभाव में आकर संतों पर दबाव बनाने के लिए आनन-फानन में एसआईटी का गठन किया। प्रशासन द्वारा संतों को भयभीत करने के प्रयास में एक सोची-समझी रणनीति के तहत अपमानजनक तरीके से गिरफ्तारियां की जा रही हैं। इससे संतों में भारी आक्रोश है।