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Rajesh Sharma
• Mon, 20 Dec 2021 9:51 am IST


भारत की आत्मा है संस्कृत भाषा ...डॉक्टर सुनील जोशी


हरिद्वार। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुनील कुमार जोशी ने कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा है। भारत के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, दार्शनिक, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन का गूढ रहस्य हमें संस्कृत ग्रन्थों के माध्यम से ही प्राप्त होता है। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय संस्कृत शोध सम्मेलन के शुभारंभ पर मुख्य अतिथि प्रो सुनील कुमार ने कहा कि आयुर्वेद को समझने के लिए षड् वेदांग को समझना अनिवार्य है। षड्वेदांग को समझने के लिये संस्कृत भाषा का ज्ञान होना अत्यावश्यक है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्रीरामानुज संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ ओमप्रकाश भट्ट ने कहा कि संस्कृत भाषा राष्ट्र की एकता व अखंडता को बनाये रखने का एक उत्कृष्ट माध्यम है। क्योंकि ‘सर्वधर्म समभाव का मूल मन्त्र संस्कृत भाषा में ही समाहित है। अकादमी के शोध अधिकारी डॉ हरीशचन्द्र गुरुरानी ने बताया कि शोध सम्मेलन में 12 राज्यों के 50 प्रतिभागियों द्वारा शोधपत्रों का वाचन किया गया। अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन अकादमी के कोषाध्यक्ष कन्हैयाराम सार्की ने किया। इस अवसर पर डॉ राधेश्याम गंगवार, डॉ भारतनन्दन चैबे, डॉ. गणेश शंकर विद्यार्थी, डॉ शैलेश कुमार तिवारी, डॉ प्रकाश पन्त, डॉ मुकेश शर्मा, डॉहर्षानन्द उनियाल, डॉ दामोदर परगांई, डॉ सुमन भट्ट, डॉ. नवीन जशोला, डॉ. नौनीहाल गौतम, आचार्य रोशन गौड, मनोज गहतोड़ी आदि मौजूद थे।