DevBhoomi Insider Desk • Sun, 12 Sep 2021 8:47 am IST
पहाड़ के लोकजीवन में गहरे तक रची-बसी है घुघुती
देहरादून। विषम भूगोल वाले उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल के लोकजीवन में गहरे तक रची-बसी है घुघुती। यूं कहें कि संपूर्ण जनमानस और संवेदनाओं के साथ इस खूबसूरत पक्षी का बेहद करीबी रिश्ता है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। यही वजह भी है कि गढ़वाल और कुमाऊं के लोकगीतों में घुघुती को समान रूप से प्रमुखता मिली है। 'प्यारी घुघूति जैलि मेरी मांजी तैं पूछि एैलि...' जैसे गीत को ही लें तो इसमें छिपे उदासी के भाव से कठोर से कठोर हृदय भी पिघल जाता है। पर्वतीय अंचल में सुख-दुख, संयोग-वियोग, खुद, प्यार-दुलार, त्याग समेत संपूर्ण संस्कृति से घुघुती का अटूट रिश्ता है।