आइए जानते हैं कि विशेषज्ञ व्हाइट ब्रेड के सेवन से बचने की सलाह क्यों देते हैं?
बढ़ा सकता है ब्लड शुगर का लेवल- स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि व्हाइट ब्रेड का अधिक सेवन करना डायबिटीज के जोखिमों को बढ़ा सकता है। व्हाइट ब्रेड तेजी से पच जाता है जिससे यह तेजी से ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता है और रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि का कारण बन सकता है। इसके अलावा चूंकि इस तरह के मैदे से बने ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अधिक होती है जो शुगर के लेवल को तेजी से बढ़ा देती है। डायबिटीज के रोगियों को व्हाइट की जगह ब्राउन या ग्रेन ब्रेड का सेवन करना चाहिए।
वजन बढ़ने की हो सकती है समस्या- ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ाने के साथ व्हाइट ब्रेड का अधिक सेवन वजन बढ़ने के खतरे को भी बढ़ा देता है। चूंकि इस तरह के ब्रेड में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट की मात्रा होती है जो शरीर में वसा के रूप में जमा हो जाता है। इसके अलावा व्हाइट ब्रेड तेजी से पच जाता है जिससे आपकी भूख बनी रह जाती है और अधिक खाने की इच्छा होती है। यह दोनों ही स्थितियां शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ा देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप वजन बढ़ सकता है। अधिक वजन को स्वास्थ्य विशेषज्ञ कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण मानते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर- अध्ययनों से पता चलता है कि व्हाइट ब्रेड जैसे रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का अधिक सेवन करने वालों में अवसाद का जोखिम भी अधिक हो सकता है। यह आपके मूड पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में जून 2015 में प्रकाशित एक शोध में वैज्ञानिकों ने रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में अवसाद के जोखिम का लिंक पाया। वैज्ञानिकों ने पाया कि रिफाइंड कार्ब्स वाली चीजों का अधिक सेवन करने वाले लोगों में थकान, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं भी अधिक देखी जाती हैं।