कोटद्वार
यदि योजना अनुरूप सभी कार्य हुए तो वह दिन दूर नहीं जब प्रदेश में घर-आंगन में फिर से गोरैया फुदकती नजर आएगी। दरअसल, उत्तराखंड वन विभाग की ओर से भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून (डब्ल्यूआइआइ) और बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएचएनएस) को गोरैया को लेकर एक परियोजना पर कार्य करने को कहा है। 'उत्तराखंड राज्य में मानव सहवास के बीच गोरैया (पासर डोमेस्टिक) की पारिस्थितिकी और जनसंख्या स्थिति पर एक व्यापक अध्ययन' नाम की इस परियोजना के दौरान जहां एक ओर प्रदेश में गोरैया गणना का कार्य किया जाएगा, वहीं उनके विलुप्त होने के कारणों का भी पता लगाया जाएगा। डब्ल्यूआइआइ गोरैया के रक्त के नमूनों की जांच कर प्लाज्मा में मौजूद कीटनाशकों के आधार पर उनके विलुप्त होने के कारणों का पता लगाएगी। जबकि, बीएचएनएस की टीमें गांव-शहरों में जाकर गोरैया की स्थिति का अवलोकन करेंगे। इससे गोरैया के संरक्षण की दिशा में ठोस प्रयास हो सकेंगे।