कोरोना की दूसरी लहर से बाहर आने में देश को अभी भी लंबा वक्त लग सकता है। पिछले दो सप्ताह के दौरान कुछ हिस्सों में संक्रमण कम हुआ है, लेकिन वर्तमान हालात ऐसे हैं कि पुरानी स्थिति में वापस पहुंचने के लिए अभी दो से ढाई महीने का इंतजार करना पड़ सकता है।
केंद्र सरकार के विशेषज्ञों के मुताबिक अनुमान है कि बीते मार्च माह से संक्रमण के नए मामले बढ़ना शुरू हो गए थे। अभी देश में 36 लाख से भी अधिक मरीजों का उपचार चल रहा है। इस आंकड़े को एक से दो लाख आने में कम से कम जुलाई से अगस्त तक का इंतजार करना पड़ा सकता है। दूसरी लहर के दौरान संक्रमण की रफ्तार ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच गई जिसने सरकार की चुनौतियों को और बढ़ा दिया।
बीते फरवरी की स्थिति में पहुंचने के लिए देश को अभी कुछ और महीनों का इंतजार करना पड़ेगा। संक्रमण कम होते ही शहर खोलना जोखिम भरा आईसीएमआर ने अधिक कोरोना संक्रमण वाले जिलों में हालात काबू में लाने के लिए 6 हफ्तों तक लॉकडाउन की पैरवी की है। आईसीएमआर के निदेश डॉ. बलराम भार्गव का कहना है कि जिन जिलों में संक्रमण दर 10 फीसदी से अधिक है, उन्हें 6 से 8 हफ्तों के लिए अभी और बंद करने की जरूरत है।
फिलहाल देश के 718 में से तीन चौथाई जिलों में अधिक संक्रमण के हालात हैं। इनमें दिल्ली, मुंबई और बंगलूरू जैसे शहर शामिल हैं। डॉ. भार्गव ने बताया, अगर संक्रमण दर घटकर पांच फीसदी हो जाए तब ही पाबंदियां हटाई जानी चाहिए। लेकिन, ऐसा होने में अभी 6 स 8 महीने लगेंगे, लिहाजा प्रशासन को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
दिल्ली का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यहां पहले संक्रमण दर 35 फीसदी थी जो अब 17 फीसदी हो गई है, लेकिन अभी लॉकडाउन हटा दिया जाए तो खतरनाक होगा।
भार्गव ने माना कि दूसरी लहर को लेकर सख्ती बरतने में ढुलाई हुई है। 15 अप्रैल को नेशनल टास्क फोर्स की बैठक में 10 फीसदी संक्रमण दर वाले इलाकों में लॉकडाउन की अनुशंसा की गई थी, लेकिन लागू करने में देरी की गई।