उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदाकिनी नदी के किनारे शिलासमुद्र ग्लेशियर खतरे की खुराक में बैठा हैं। आपका बता दे, शिलासमुद्र के ठीक नीचे ग्लेशियर की तलहटी पर बने दो छेद और उसके आसपास आई दरारें कभी भी कहर बरपा सकती हैं।
हो जाये अलर्ट
जानकारों का कहना है कि बड़ा भूकंप आने की दशा में अगर भविष्य में शिलासमुद्र ग्लेशियर फटता है तो सितेल, कनोल, घाट, नंदप्रयाग से लेकर हरिद्वार तक कई शहरों का नामोनिशान मिट सकता है। शिलासमुद्र ग्लेशियर नंदा राजजात का 16वां पड़ाव है। धार्मिक महत्ता का प्रतीक होने के साथ पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां पर दुर्लभ प्रकार के जीव जंतु पाए जाते हैं, जो गढ़वाल हिमालय के ईकोलॉजी सिस्टम में भी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाते हैं। शिलासमुद्र ग्लेशियर लगभग आठ किलोमीटर परिक्षेत्र में फैला है।