अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है। सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को भारतीय मुद्रा रुपया फिसलकर नए निचले स्तर पर पहुंच गया। डॉलर के मुकाबले रुपया 11 पैसे की गिरावट के साथ 77.85 के स्तर पर पहुंच गया। यह भारतीय मुद्रा का अब तक का सबसे निचला स्तर है। विशेषज्ञों ने अनुमान जताया है कि रुपया टूटकर 81 के स्तर पर पहुंच सकता है।
रुपये में जारी गिरावट के बीच एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि डॉलर के मुकाबले रुपया आने वाले दिनों में 81 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच सकता है। यानी अभी इसमें और गिरावट दर्ज की जा सकती है। हालांकि, इस बीच उन्होंने संभावना जताई है कि इस स्तर तक टूटने के बाद रुपये में फिर से बढ़ोतरी संभव है। गौरतलब है कि रुपये के टूटने से कई क्षेत्रों में बड़ा असर देखने को मिलता है। इसमें तेल की कीमतों से लेकर रोजमर्रा के सामनों की कीमतों में इजाफा दिखाई देगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जब उथल-पुथल मचती है तो निवेशक डॉलर की ओर अपना रुख करते हैं। डॉलर की मांग बढ़ती है तो फिर अन्य करेंसियों पर दबाव बढ़ जाता है। दुनिया भर में अनिश्चितता की बात करें तो कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन में चल रहे युद्ध की वजह से आपूर्ति में रुकावट आई है, जो कि दुनियाभर में अव्यवस्था पैदा करने वाली है। जब अनिश्चितता का समय होता है तो लोग सुरक्षित ठिकाना खोजते हैं और डॉलर को एक सुरक्षित ठिकाना माना जाता है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली से विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है और डॉलर की मांग बढ़ जाती है, जबकि रुपये की मांग कम हो जाती है।