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Rajesh Sharma
• Sun, 6 Dec 2020 4:11 pm IST


उत्तराखंड के बीस साल: उम्मीदों को लगे पंख, उड़ान बाकी


नैनीताल हाईकोर्ट में आज चिदानंद मुनि की ओर से ऋषिकेश के निकट वीरपुर खुर्द वीरभद्र में रिजर्व फॉरेस्ट की 35 बीघा भूमि पर अतिक्रमण कर 52 कमरों की बिल्डिंग का निर्माण करने के मामले में दायर जनहित पर सुनवाई हुई। इसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार के दिए बयान के आधार पर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को अवगत कराया कि जिस भूमि पर चिदानंद मुनि ने बिल्डिंग बनाई थी, उसे सरकार ने ढहा दिया है। 


कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ एवं न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि ऋषिकेश के निकट वीरपुर खुर्द वीरभद्र में मुनि चिदानंद ने रिजर्व फारेस्ट की 35 बीघा भूमि पर कब्जा करके वहां पर 52 कमरे, एक बड़ा हाल और गौशाला का निर्माण किया है। 

कोर्ट ने पूछा, क्या आरोपी चिदानंद के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होगी?

सरकार की ओर से चिदानंद मुनि की ओर से रिजर्व फॉरेस्ट की भूमि पर किए गए निर्माण को ढहा देने के बयान के बाद खंडपीठ ने अधिवक्ता से भी इस बाबत सवाल किया। अधिवक्ता ने भी निर्माण ढहाने की पुष्टि की। खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि क्या इसमें आरोपी चिदानंद के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होगी। इस पर सरकार ने कहा कि मुनि के खिलाफ 26 फॉरेस्ट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जा चुका है।


इसकी चार्जशीट मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट देहरादून की कोर्ट में दाखिल की जा चुकी है। कोर्ट ने सीजेएम को भी कहा है कि इसमें 26 फॉरेस्ट एक्ट में जुर्माना न देखते हुए इसे पृथक तरीके से देखा जाए। 30 वर्ष तक उक्त भूमि चिदानंद के कब्जे में रही। ऐसे में इसके एवज में लिया जाने वाला मुआवजा भी इसी अनुपात में लिया जाना चाहिए।