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• Mon, 1 Jan 2024 11:11 am IST


केदारघाटी में बारिश न होने से किसान परेशान, बर्फ विहीन होने से पर्यावरण विशेषज्ञ चिंतित


दिसंबर महीना गुजर जाने के बाद भी हिमालयी भूभाग बर्फ विहीन होने से पर्यावरण विशेषज्ञ और पर्यावरणविद खासे चिंतित हैं. निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से काश्तकारों की रबी की फसल चौपट होने की कगार पर है. जिससे काश्तकारों को भविष्य की चिंता सताने लगी है. नए साल में बर्फबारी नहीं होती है तो तुंगनाथ घाटी और कार्तिक स्वामी का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो सकता है. दिसंबर के अंतिम हफ्ते में हिमालयी भूभाग बर्फ विहीन होना भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है. मौसम के अनुकूल बारिश और बर्फबारी न होना पर्यावरणविद ग्लोबल वार्मिंग का असर मान रहे हैं.बता दें कि बीते दो दशक पहले तक केदारघाटी का हिमालयी भूभाग समेत सीमांत क्षेत्र दिसंबर के दूसरे हफ्ते में ही बर्फबारी से लकदक हो जाते थे. मौसम के अनुकूल बारिश और बर्फबारी होने से प्राकृतिक जल स्रोत भी लबालब नजर आते थे. हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी के साथ निचले भूभाग में झमाझम बारिश होने से काश्तकारों की गेहूं, जौ, मटर, सरसों की फसलों को नमी मिल जाती थी. जिससे उत्पादन में वृद्धि होती थी, लेकिन धीरे-धीरे प्रकृति के साथ मानवीय हस्तक्षेप होने से केदार घाटी के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी कम हो रही है, जिसे भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं ठहराया जा सकता है.