नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने 2022 की वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भ्रष्टाचार के जिन मामलों की जांच पूरी कर ली है, उनमें से 6841 मामले कोर्ट में पेंडिंग हैं। इन पर अभी तक कोई फैसला नहीं आ सका है। इनमें से 313 मामले ऐसे हैं, जिन्हें कोर्ट में पहुंचे 20 साल से ज्यादा समय हो गया है।
सीवीसी की रिपोर्ट में
बताया गया है कि 31 दिसंबर, 2022 तक CBI के पास 692 केस पेंडिंग थे, जिनकी जांच
केंद्रीय एजेंसी को करनी थी। इनमें से 42 केस ऐसे हैं, जिनकी जांच शुरू
हुए 5 साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है, जबकि CBI को एक साल के
भीतर जांच पूरी करनी होती है।
साल 2022 में CBI की केस डायरी
2022 में कुल 946 केस दर्ज किए। इनमें से 829 रेगुलर केस थे
और बाकी 117 प्राइमरी इन्क्वायरी केस थे।
946 मामलों में से 107 संवैधानिक
अदालतों के आदेश पर उठाए गए और 30 मामले राज्य सरकारों ने सौंपे थे।
रिश्वतखोरी के 163 केस ट्रैप किए, जबकि आय से
ज्यादा संपत्ति रखने के 46 मामले दर्ज किए गए।
2022 में CBI ने 905 मामलों की जांच
पूरी की। इनमें से 819 रेगुलर और 86 प्राइमरी
इन्क्वायरी वाले केस थे।
CBI के अधिकारियों के खिलाफ 71 केस चल रहे हैं, जिन पर अभी तक
कोई फैसला नहीं आया है।
रिपोर्ट के मुताबिक CBI में कुल 7295 पोस्ट हैं, जिनमें से 5600 पर
अधिकारी-कर्मचारियों की पोस्टिंग है, 1695 पद खाली हैं।
आयोग ने जांच में देरी के कारण भी गिनाए
CVC ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कुछ मामलों में जांच पूरी करने में देरी हुई
है। देरी के कुछ कारणों में वर्कलोड, मैन पावर की कमी और दूर
रहने वाले गवाहों का पता लगाने में लगने वाला समय जैसी बातें शामिल हैं। इससे पहले CVC ने 11 अगस्त को एनुअल
रिपोर्ट जारी की है, जिसमें सभी
विभागों के खिलाफ मिली शिकायतों और उनके निवारण की जानकारी है। रिपोर्ट में लिखा
है कि आयोग के पास भ्रष्टाचार की 1.15 लाख शिकायतें
पहुंची थीं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की सबसे
ज्यादा 46 हजार शिकायतें मिली थीं।