नैनीताल-आपका मन भी करता होगा कि आपके घर आंगन में गौरेया फुदके और चहके। नन्ही गौरेया की चीं चीं हर किसी को भाती है लेकिन आज गौरेया ओझल हो रही है। उसने अपना ठिकाना बदल लिया है। इंसानी आदतें ही उसे हमसे दूर कर रही हैं। शहरीकरण के कारण उसके प्राकृतिक भोजन के स्रोत समाप्त होते जा रहे हैं। किसी भी प्रजाति को समाप्त करना हो तो उसके आवास और भोजन को समाप्त कर दो.. कुछ ऐसा ही हुआ गौरैया के साथ। आज गौरेया के आशियाने उजड़ रहे हैं। कुछ लोग हैं जो गौरेया के ठोर की चिंता कर रहे हैं। उनके संरक्षण का बीड़ा उठाए हैं।