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• Sun, 14 Feb 2021 11:42 am IST


गंगा संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था मातृ सदन के परम अध्यक्ष स्वामी शिवानंद



सरस्वती महाराज ने एक बार फिर गंगा और सहयोगी नदियों को बचाने के लिए सरकार को घेरा है एक बार फिर मातृ सदन में गंगा को बचाने के लिए अनशन करने का निर्णय लिया गया है आगामी 23 फरवरी से मातृ सदन में यह अनशन किया जाएगा अनशन पर कौन संत बैठेंगे यह भी तय नहीं हुआ है पत्रकारों से वार्ता करते हुए मात्री सदन के पर माध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि सरकारें विनाश का इंतजार कर रही हैं.

7 फरवरी को चमोली में आई आपदा ने एक बार फिर चेता दिया है कि अगर हम समय रहते नहीं संभले तो परिणाम और भी भयंकर होंगे उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जितने भी बांध बन रहे हैं उन सभी को बंद कर दिया जाना चाहिए प्रस्तावित परियोजनाओं को निरस्त कर दिया जाना चाहिए और जितने बांध बने हुए हैं.

चाहे उसमें टिहरी बांध ही क्यों ना हो धीरे-धीरे उसका पानी निकाल कर उसे भी समाप्त किया जाना चाहिए अन्यथा विकास के नाम पर जो लीला रची जा रही है वह विनाश लीला होगी स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि वर्ष 2013 में जब आपदा आई थी उस समय ऐसा लग रहा था कि कोई सबक लिया जाएगा और कथित विकास पर रोक लगाई जाएगी लेकिन कोई भी सबक नहीं लिया गया इससे ऐसा लगता है कि अभी और विनाश का इंतजार किया जा रहा है उन्होंने कहा कि आपदा प्रकृति के साथ किए जा रहे छेड़छाड़ का ही परिणाम है अगर प्रकृति के साथ छेड़छाड़ जारी रही तो आगे भी इसी तरह की आपदा आती रहेगी उन्होंने सरकारों पर आरोप लगाया कि मातृ सदन में अनशन करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले हैं.

स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद की मांगों को मान लेने का लिखित में आश्वासन दिया गया था, इसके बाद भी मांगे नहीं मानी गई। उस समय मातृ सदन ने घोषणा की थी कि अगर आश्वासन पर अमल नहीं किया गया तो दोबारा अनशन किया जाएगा। सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि अब दोबारा गंगा और सहयोगी नदियों को बचाने के लिए मातृ सदन में आगामी 23 फरवरी से आमरण अनशन किया जाएगा।

कौन संत अनशन पर बैठेंगे यह अभी तय नहीं किया गया है। ध्यान रहे कि इससे पहले गंगा की रक्षा के लिए अनशन करते हुए ब्रह्मचारी निगमानंद  और  स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद ऊर्फ प्रोफेसर जीडी अग्रवाल अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं। स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि कितने भी बलिदान क्यों न देने पड़ें, मातृ सदन गंगा की रक्षा के लिए अपने संकल्प पर अडिग है।