आज 10 जून को निर्जला एकादशी मनाई जा रही है. निर्जला एकादशी का विशेष महत्व होता है. निर्जला एकादशी के दिन ना तो कुछ खाया जाता है और ना ही जल की एक बूंद भी ग्रहण की जाती है. निर्जला एकादशी के दिन स्नान का दान का काफी महत्व माना गया है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्नान और दान करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है. निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है.
धार्मिक कथाओं के अनुसार, भीम, पांडव भ्राताओं में सबसे बलशाली माने जाते थे. उन्हें भूख बर्दाश्त नहीं थी. इस कारण उनके लिए किसी भी व्रत को रखना संभव नहीं था. लोगों के बहुत समझाने पर उन्होंने एकमात्र निर्जला एकादशी का व्रत किया. भूख बर्दाश्त ना होने पर शाम होते ही वो मूर्छित हो गए. चूंकि भीमसेन के साथ इस एकादशी का संबंध है. इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन बिना जल के उपवास रखने से साल की सारी एकादशियों का पुण्य फल मिलता है.