कुमाऊं मंडल के बाल कल्याण समिति व किशोर न्याय बोर्ड के प्रतिनिधियों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। अपर सचिव महिला कल्याण प्रदीप सिंह रावत ने कहा कि शासन का लक्ष्य था कि सभी जिलों में बाल संरक्षण की सर्वश्रेष्ठ टीम का चयन हो, जिसे सार्थक करने का दायित्व बाल कल्याण समिति व किशोर न्याय बोर्ड का है।उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में आयोजित प्रशिक्षण में अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक डॉ. कंचन नेगी ने सोशल मीडिया के कारण बाल कल्याण समिति व किशोर न्याय बोर्ड की बदलती भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने बच्चों के साथ नियमित वार्तालाप करने एवं सोशल मीडिया के दुरुपयोग से सजग रहने के बारे में बताया। प्रो. ओमकार तिवारी ने किशोर न्याय बोर्ड की परिभाषा, दायित्वों, शक्तियों की जानकारी दी। कहा कि बच्चों से जुड़े लगभग 250 कानून हैं, जिनमें किशोर न्याय अधिनियम 2015 व निगम 2016 सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। उत्तराखंड ज्यूडिशियल एंड लीगल एकेडमी (उजाला) भवाली के सहायक निदेशक भूपेंद्र सिंह शाह ने पॉक्सो, बाल विवाह अधिनियम, अनैतिक व्यापार अधिनियम व किशोर न्याय अधिनियम की जानकारी दी। जिला प्रोबेशन अधिकारी अंजना गुप्ता, व्योमा जैन व विधि अधिकारी समीक्षा शर्मा ने महिला कल्याण की संस्थाओं का परिचय, स्पांसरशिप, पीएम केयर्स फ़ॉर चिल्ड्रन, मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना, स्ट्रीट चिल्ड्रन का पुनर्वास, बाल स्वराज पोर्टल आदि विषयों की जानकारी दी।